ट्रस्ट करेगा राम मंदिर का निर्माण तो मस्जिद के लिए मिलेगी 5 एकड़ जमीन
कानून रिव्यू/ नई दिल्ली
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। पांच जजों की संविधान पीठ में शामिल सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एएस बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने पूर्ण बहुमत से विवादित जमीन को हिन्दुओं को सौंपने और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अलग स्थान पर 5 एकड़ भूमि देने का निर्णय दिया। 9 नवंबर.2019 की सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अपने फैसले से अयोध्या में लगभग 500 वर्षों से विवादित भूमि पर दिए अपने फैसले से राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया। अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिनों तक लगातार सुनवाई अक्टूबर-2019 में ही पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। कल 8 नवंबर-2019 को सुप्रीम अदालत ने अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ विशेष बैठक कर सुरक्षा का जायजा लिया। उत्तर प्रदेश के दोनों शीर्ष अफसरों की रिपोर्ट से संतुष्ट होने के बाद देर शाम कोर्ट ने 9 नवंबर की सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाने की घोषणा कर दी। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष की तमाम दलीलों का जिक्र करते हुए एएसआई की रिपोर्ट्स को अहम माना है। कोर्ट ने भले जमीन का अधिकार रामलला विराजमान को दिया है, लेकिन इस मामले में पक्षकार हिंदू पक्ष के दावों को भी खारिज किया है। सबसे बड़ा झटका निर्मोही अखाड़े को लगा है। कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी स्पष्ट कर दिया कि भले ही एएसआई को मिला ढांचा गैर मुस्लिम था लेकिन मस्जिद बनाने के लिए किसी मंदिर को तोड़ने के कोई सबूत नहीं मिले हैं।
1ः- निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज किया
संविधान पीठ ने जन्मभूमि के प्रबंधन का अधिकार मांगने की निर्मोही अखाड़ा की याचिका खारिज कर दी। हालांकि कोर्ट ने केंद्र से कहा कि मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को किसी तरह का प्रतिनिधित्व दिया जाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में जमीन के तीन हिस्सों में से एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को भी दिया था। इस फैसले को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
2ः-जन्मभूमि न्यास को भी जमीन का मालिकाना हक नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने जन्मभूमि न्यास और निर्मोही अखाड़े को मालिकाना हक नहीं दिया। मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक जमीन केंद्र और योगी सरकार अयोध्या में देगी। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन के बाहरी और आंतरिक हिस्से पर रामलला का हक है। इसके लिए एक ट्रस्ट का गठन किया जाए। इस ट्रस्ट का गठन सरकार करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रस्ट में सदस्यों को चुने जाने का अधिकार दिया है। तीन महीने में ट्रस्ट बनने के बाद विवादित जमीन और अधिग्रहित भूमि के बाकी हिस्से को सौंप दी जाएगा। इसके बाद ट्रस्ट राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार करेगा।
3ः- मस्जिद ढहाना और 1949 में मूर्तियां रखना गैरकानूनी था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाना और 1949 में मूर्तिया रखना गैरकानूनी था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामलला विराजमान को मालिकाना हक दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि राम की ऐतिहासिकता और अयोध्या में उनके जन्म को लेकर कोई विवाद नहीं है, लेकिन मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे ही जन्मस्थान होने की हिंदू पक्षकारों की दलील सरासर आधारहीन है। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि ऐसा किया जाना जरूरी था, क्योंकि जो गलतियां की गईं, उन्हें सुधारना सुनिश्चित करना भी कोर्ट का उत्तरदायित्व है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सहिष्णुता तथा परस्पर सह.अस्तित्व हमारे देश तथा उसकी जनता की धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धता को पुष्ट करते हैं।