कानून रिव्यू/अरुणाचल
——————————अरुणाचल में रूपांतरणों के खिलाफ कानून धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा बनता जा रहा है। इस कानून को बनाने का उद्देश्य था कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य का बलपूर्वक धर्म परिवर्तन करेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अब इस कानून का राज्य में गलत तरीके से प्रयोग किया जा रहा है। यही कारण है कि राज्य में 40 साल पुराने इस रूपांतरणों के खिलाफ कानून को हटाया जाएगा। दरअसल ईसाई मिशनरी इसके दुरुपयोग में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। राज्य में धर्म परिवर्तन करना गैरकानूनी है। इसके तहत कोई किसी का जबरन धर्म परिवर्तन नहीं करवा सकता। जो जिस धर्म में रहना चाहता है वह उसकी व्यक्तिगत पसंद होगी। मुख्यमंत्री पेमा खांडू का कहना है कि ये कानून धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा बन सकता है। क्योंकि यह मुख्य रूप से ईसाइयों की ओर लक्षित है। कैथोलिक एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कानून को अगले विधानसभा सत्र से पहले रद्द कर दिया जाएगा। इसके पीछे का कारण बताते हुए खांडू ने कहा कि भविष्य में इसका अधिकारियों द्वारा दुरुपयोग हो सकता है। कानून के ऐसे दुरुपयोग से लोगों का उत्पीड़न बढ़ेगा। जिससे राज्य में बड़ी हिंसा हो सकता है। इससे अरुणाचल के टुकड़े भी हो सकते हैं। खेमू ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश का स्वतंत्रता अधिनियम 1978 में पारित हुआ था। उसमें यह भी कहा गया था कि कोई भी व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन नहीं करेगा। ना ही किसी के द्वारा दिए गए प्रलोभन से और ना ही किसी के द्वारा जबरन किए गए प्रयास से। यदि ऐसा किया गया तो आरोपी को 10 हजार के जुर्माने के साथ 2 साल तक की सजा हो सकती है।