कानून रिव्यू/नई दिल्ली
रिपब्लिक टीवी के पत्रकार अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के 2018 के मामले में महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष न्यायालय है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर निशाना बना रही हैं। बंबई हाईकोर्ट ने इस मामले में अर्नब गोस्वामी और दो अन्य को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुए कहा था कि उन्हें राहत के लिए निचली अदालत जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर आरोपी अपनी गैरकानूनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हैं और जमानत की अर्जी दायर करते हैं तो संबंधित निचली अदालत चार दिन में उस पर निर्णय करेगी।