अल्कोहल वाष्प थैरेपी देने के लिए इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च और विश्व स्वास्थ्य संगठने को निर्देश देने के लिए एक जनहित याचिका दायर
याचिकाकर्ता ने कहा कि वास्तव में मैंने इस पद्धति को स्वयं के प्रयोगों द्वारा अपने स्वयं के अनुभव से सुझाया है। मैंने अपने फ्लू और सामान्य सर्दी के लिए कई बार इथेनॉल वाष्प का उपयोग किया है और बेहतर लाभ हुआ है क्योंकि मुझे एलोपैथी सहित अन्य दवाओं के अनुप्रयोगों से इसके समान फायदा नहीं मिला है। इसलिए मुझे दृढ़ता से लगता है कि इथेनॉल वाष्प चिकित्सा न केवल इन्फ्लूएंजा और सामान्य सर्दी के वायरस के लिए उपयोगी हो सकती है बल्कि कोविड-19 सहित श्वसन प्रणाली में अन्य वायरस, बैक्टीरियल संक्रमणों के लिए भी उपयोगी हो सकती है।
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में मरीजों को अल्कोहल वाष्प थैरेपी देने के लिए इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च और विश्व स्वास्थ्य संगठने को निर्देश देने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में केंद्र, डब्ल्यूएचओ, इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन व इसमें शामिल किसी भी हिस्सेदार को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता चंद्रशेखरन रामास्वामी एक स्वतंत्र आविष्कारक, लेखक और एक्टिविस्ट हैं जिन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया है और वह कहते हैं कि उत्तरदाताओं में से किसी को भी कोविड-19 से संक्रमित उन व्यक्तियों को सुरक्षित स्व दवा के रूप में इथेनॉल वाष्प के अनुमोदन या किसी भी उपयुक्त अल्कोहल वाष्प थेरेपी देने के लिए उचित निर्देश दिए जा सकते हैं जिन्हें कोरोना के बहुत शुरुआती लक्षण हैं। यह माना गया है कि इथेनॉल वाष्प और अन्य उपयुक्त अल्कोहल वाष्प थैरेपी का उपयोग परीक्षण में पुष्टि से पहले एक निवारक उपचार है और कोविड- 19 के प्रभाव को मारता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति को प्रारंभिक अवस्था में फेफड़ों में बहुत ही अस्थायी अवधि के लिए आवश्यक अंतराल पर धीरे.धीरे छोटे से मध्यम स्तर तक इथेनॉल वाष्प थैरेपी दी जाना चाहिए क्योंकि अभी तक इस महामारी के लिए कोई भी उपलब्ध दवा नहीं हुई है और ये रोगी को संभवत बेहतर उपचार देगा। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि उसने 3 अप्रैल और 8 अप्रैल को उल्लिखित उत्तरदाताओं को विस्तृत प्रतिनिधित्व में भेजा था लेकिन कोई जवाब नहीं आया है। इथेनॉल वाष्प के उपयोग के वैज्ञानिक आधार पर जोर देते हुए याचिकाकर्ता ने संकेत दिया कि यह पश्चिमी चिकित्सा प्रणाली में कोई नया नहीं है और यह कि ऑक्सीजन के पानी और इथेनॉल के वाष्पीकरण द्वारा प्राप्त वाष्प का सांस लेना फेफड़े संबंधित रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा कोरोनवायरस को मारने के लिए हैंड सेनिटाइजर के उपयोग के बीच का चित्र करते हुए जिसमें 60 प्रतिशत एल्कोहल होता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि वह उम्मीद करते हैं कि कोविड-.19 वायरस जो फेफड़ों में प्रवेश करता है उसे अल्कोहल वाष्प द्वारा मारा जा सकता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च और डब्ल्यूएचओ को उपचार के लिए इथेनॉल वाष्प पर विचार करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए ताकि जल्द से जल्द दुनिया भर में हो रहे लोगों के मूल्यवान जीवन के भारी नुकसान को कम किया जा सके। याचिकाकर्ता ने कहा कि वास्तव में मैंने इस पद्धति को स्वयं के प्रयोगों द्वारा अपने स्वयं के अनुभव से सुझाया है। मैंने अपने फ्लू और सामान्य सर्दी के लिए कई बार इथेनॉल वाष्प का उपयोग किया है और बेहतर लाभ हुआ है क्योंकि मुझे एलोपैथी सहित अन्य दवाओं के अनुप्रयोगों से इसके समान फायदा नहीं मिला है। इसलिए मुझे दृढ़ता से लगता है कि इथेनॉल वाष्प चिकित्सा न केवल इन्फ्लूएंजा और सामान्य सर्दी के वायरस के लिए उपयोगी हो सकती है बल्कि कोविड-19 सहित श्वसन प्रणाली में अन्य वायरस, बैक्टीरियल संक्रमणों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। इसके अलावाए ये कहते हुए कि इथेनॉल कई चिकित्सा उन्मुख उद्देश्यों के लिए एक सार्वभौमिक उपाय है और जटिल प्रक्रियाओं को पार करता है जो महंगी हो सकती हैं। याचिकाकर्ता संबंधित अधिकारियों द्वारा इसके उपयोग को अपनाने का आग्रह करता है और कहता है कि इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल में भर्ती और गंभीर रूप से बीमार रोगियों को भी संभावित प्रभावी चिकित्सा से सबसे अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है।् वर्तमान में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन से लाभ की उम्मीद है फिर भी बहुत कम सबूत हैं। याचिका को वकील सी आर जया सुकिन ने तैयार किया है और वकील नरेंद्र कुमार वर्मा ने इसे दायर किया है।