कानून रिव्यू/नई दिल्ली
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स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आईसीयू अस्पतालों के लिए जरूरी है मगर ज्यादार अस्पताल इस कानून को पालन नही करते हैं और राज्य सरकारें भी इस ओर से हील हवाली बरत रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में केंद्र सरकार ने कहा कि ‘क्लिनिकल एस्टेबलिसमेंट एक्ट’ के तहत पहले से ही अस्पतालों के लिए इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) का प्रावधान है। लेकिन इस अधिनियम को लागू करने के लिए ज्यादातर राज्य आगे नहीं आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब स्वास्थ्य मंत्रालय नए सिरे से दिशा-निर्देश जारी कर सकता है।
स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ.जगदीश प्रसाद के अनुसार क्लिनिकल एस्टेबलिसमेंट एक्ट के प्रावधानों के तहत जिन अस्पतालों में शल्यक्रिया विभाग है, वहां आईसीयू की स्थापना होनी चाहिए। यह बात अस्पतालों के लिए न्यूनतम मानकों में शामिल की गई है। आमतौर पर बड़े नर्सिंग होम्स में ऑपरेशन होते हैं, जो लेवल-2 अस्पतालों के दायरे में आते हैं।
श्री प्रसाद ने कहा कि यदि किसी अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी भी होती है तो वहां आईसीयू की अनिवार्यता रखी गई है। राज्यों को इस कानून को लागू करने की पहल करनी चाहिए। ‘क्लिनिकल एस्टेबलिसमेंट एक्ट 2010’ में पारित हुआ था। जिसे 2012 में अधिसूचित किया गया था। इसे अब तक 10 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने ही स्वीकार किया है तथा लागू करने की प्रक्रिया चल रही है। इनमें उत्तरप्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, असम आदि राज्य शामिल हैं। लेकिन क्रियान्वयन अभी तक पश्चिम बंगाल एवं झारखंड में ही शुरू हो पाया है।
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आखिर क्या है आईसीयू?
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—दरअसल, आईसीयू में मरीज की गंभीर स्थिति में होने पर रखा जा सकता है। यदि शल्य क्रिया के दौरान भी मरीज की दिक्कत बढ़ती है, तो आईसीयू में रखकर उसकी जान बचाई जा सकती है। आईसीयू में ऐसे उपकरण होते हैं जिनकी मद्द से मरीज को अंगों के फेल होने या सांस लेने में तकलीफ होने आदि की स्थिति में भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
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