चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही पूरे राज्य आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। प्रत्येक जिले में जिला निर्चाचन अधिकारियों की ओर से प्रत्याशियों को आचार संहिता के लिए जागरूक किया जा रहा है और साथ ही आचार संहिता का उल्लंघन किए जाने पर कार्यवाही किए जाने की चेतावनी दी जा रही है और आचार संहिता के उल्लंघन पर मुकदमा दर्ज किए जा रहे हैं। इन सबके बावजूद प्रत्याशी हैं कि आचार संहिता का पालन करने के प्रति गंभीर नही है और आचार संहिता की ऐसी की तैसी जीतना है निकाय चुनाव वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग के कायद कानूनों को कौन निभाए?
- कानून रिव्यू/उत्तर प्रदेश
—————————–उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनावों का खुमार अपने पूरे सवाब पर है। चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही पूरे राज्य आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। प्रत्येक जिले में जिला निर्चाचन अधिकारियों की ओर से प्रत्याशियों को आचार संहिता के लिए जागरूक किया जा रहा है और साथ ही आचार संहिता का उल्लंघन किए जाने पर कार्यवाही किए जाने की चेतावनी दी जा रही है और आचार संहिता के उल्लंघन पर मुकदमा दर्ज किए जा रहे हैं। इन सबके बावजूद प्रत्याशी हैं कि आचार संहिता का पालन करने के प्रति गंभीर नही है और आचार संहिता की ऐसी की तैसी जीतना है निकाय चुनाव वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। निकाय चुनाव में जीत हासिल करने के लिए हर प्रत्याशी वोटरों को लुभाने में जुटा है। प्रत्याशी व उनके समर्थक इसके लिए तरह.तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। आचार संहिता की ऐसी की तैसी हो गई है। नेता बनने की होड़ में प्रत्याशी न तो पुलिस की सुनने को तैयार हैं और न ही प्रशासन की। नतीजतन पुलिस व प्रत्याशी समर्थकों में आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर रोज झड़प हो रही हैं। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजधानी लखनउ में ही अब तक आचार संहिता के उल्लंघन के 52 मुकदमे विभिन्न थानों में दर्ज किए जा चुके हैं। निकाय चुनाव का बिगुल बजते ही प्रशासन ने प्रत्याशियों को आचार संहिता का पाठ पढ़ा दिया था। सभी प्रत्याशियों को पर्चा खरीदते समय से ही सारे बिंदुओं के बारे में बता दिया गया था। इसके बावजूद प्रत्याशी व उनके समर्थक चुनाव प्रचार में नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। चुनाव करीब आते ही पुलिस व प्रशासन के विशेष दस्ते गठित कर दिए गए हैं। हाल यह है कि रोजाना किसी न किसी क्षेत्र में अवैध रूप से प्रचार करने वाले प्रत्याशियों से पुलिस की झड़प हो रही है।
वैन पर लगवा ली साईकिल
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वोटरों को रिझाने के लिए प्रत्याशी तरह.तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। गुडंबा के शंकर पुरवा वॉर्ड के सपा प्रत्याशी पंकज यादव ने तो वैन के ऊपर अपना चुनाव निशान साइकल तक वेल्ड करवाकर लगवा ली। पुलिस ने पकड़ा तो काफी देर हंगामा हुआ। मुकदमा दर्ज होने के साथ तीन लोग दबोचे भी गए और बड़ी मुश्किल से साईकिल उतारी गई। वहीं आशियाना इलाके में ई.रिक्शे पर रिक्शे से बड़ी होर्डिंग लगाकर कमल का फूल खिलाने के चक्कर में प्रत्याशी राणा का समर्थक दबोचा गया। उसके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ और ई.रिक्शा जब्त कर लिया गया।
पुलिस से हुआ टकराव
……………………………………पेपर मिल कॉलोनी में 13 नवंबर को सपा प्रत्याशी नंदराम यादव के समर्थकों ने बिजली के खंभों को बैनर पोस्टर से पाट दिया। पुलिस ने रोका तो समर्थक भिड़ गए। पुलिस ने इस मामले में आरोपितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली। वहीं विकासनगर में निर्दलीय प्रत्याशी मीरा तिवारी के समर्थकों के खिलाफ एसआई अशोक कुमार ने मुकदमा दर्ज कराया है। इन पर बिना अनुमति प्रचार कराने का आरोप है। पीजीआई इलाके में बीएसपी पार्षद प्रत्याशी सुनील रावत ने भी बिना अनुमति बैनर पोस्टर लगवा डाले। पुलिस ने पोस्टर हटवाने के साथ ही मुकदमा भी दर्ज कराया। इसके अलावा अमीनाबाद के वॉर्ड नंबर.2 से सपा प्रत्याशी शफीकुर्रहमान ने भी बिना अनुमति जुलूस निकाला तो पुलिस ने कार्रवाई की।
उम्मीदवारी निरस्त होने के साथ हो सकती है जेल
………………………………………………………….आचार संहिता का पालन न करने पर पुलिस व प्रशासन के अधिकारी लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 1950, 1951 और 1989 के तहत कार्रवाई करने के साथ ही 127.ए में भी कार्रवाई करते हैं। आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ केस दर्ज कर चालान किया जाता है। इसमें प्रत्याशी से जुर्माना भी वसूला जाता है। प्रशासन अगर आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाकर किसी प्रत्याशी की रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजता है तो आयोग के निर्देश पर उस प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। यही नहीं उसे जेल भी भेजा जा सकता है। हालांकि राजधानी में अभी तक ऐसा कोई मामला नहीं आया हैए जिसमें आचार संहिता के उल्लंघन करने पर प्रत्याशी को जेल भेजा गया हो या उसे चुनाव लड़ने से रोका गया हो।
जुर्माना वसूलने तक सीमित है कार्रवाई
……………………………………………….आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर आरोपित व उसके समर्थक के खिलाफ संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कराई जाती है। उल्लंघन किन बिंदुओं पर किया गया। उससे सरकारी संपत्ति का कितना नुकसान हुआ या पब्लिक को कितनी परेशानी हुई। इस आधार पर प्रत्याशी से जुर्माना भी वसूला जाता है। प्रत्याशी के वाहन भी सीज कर दिए जाते हैं। अभी तक पुलिस ने केवल एफआईआर करने, जुर्माना वसूलने और चालान करने की ही कार्रवाई की है।