कानून रिव्यू/नई दिल्ली
————————————सुप्रीम कोर्ट ने केरल की रहने वाली एक महिला को इस्लामिक स्टेट से संबंध रखने के आरोप में सात साल की सजा सुनाई गई है। महिला किसी आतंकी गतिविधि में शामिल नहीं थी लेकिन कोर्ट ने आतंकी संगठन से संबंध रखने के कारण सख्त सजा सुनाई है। जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की बैंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि महिला के आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से संबंध थे और वह आईएस की विचारधारा को फैलाने का काम कर रही थी। कोर्ट ने माना कि महिला ने गैर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ युद्ध छेड़ने की आतंकी संगठन की विचारधारा के लिए काम किया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से मिली राहत को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए सजा सुनाई है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से मिली 7 साल की सजा को कम कर 3 साल कर दिया था। पुलिस को 2016 में यह सूचना मिली थी कि इस्लामिक स्टेट में भर्ती होने के लिए 14 लोग भारत छोड़ रहे हैं। इस मामले की जांच में जुटी पुलिस को पता चला कि यासीन मोहम्मद जाहिद दिल्ली से निकलने वाले हैं। इसके बाद पुलिस ने दिल्ली एयरपोर्ट से यासीन को पकड़ लिया। यासीन बच्चे के साथ ही अफगानिस्तान रवाना हो रही थी। यासीन का पति कुछ और लोगों के साथ पहले ही आईएस में भर्ती होने के लिए अफगानिस्तान भाग चुका था। महिला की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। जिसके बाद पता चलता है कि महिला का संबंध आईएस से था। महिला के वीडियो में दिख रहा है कि वह खुले तौर पर गैर.मुस्लिमों के खिलाफ युद्ध का ऐलान करती थी। इसी के साथ वह जिस तरह से अफगानिस्तान भागने के फिराक में थी उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि उसकी मंशा खतरनाक थी।