गूगल, फेसबुक और नेटफ्लिक्स जैसी डिजिटल कंपनियां भी होंगी टैक्स के दायरे में
- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
—————————आयकर कानून को सरल बनाने की कवायद शुरू हो गई है। देश के आयकर कानून में कई जटिलताएं हैं। यह जरूरी नहीं है कि किसी व्यक्ति को जॉब से हो रही इनकम सैलरी के दायरे में आती हो जिस पर टैक्स लगे। इस साल के बजट में इसे बदलने की कवायद की गई है। नॉन.कॉम्पीट पेमेंट्स वेतन और वेतन के बदले में मुनाफा के दायरे में नहीं आते हैं। जिस कारण इन पर टैक्स नहीं लगता। साथ ही भारत में विदेशी इंटरनेट कंपनियों से भी टैक्स वसूलने की शुरुआत हो सकती है।
क्या है कॉम्पीट फी
——————–बिजनेस कंसल्टंसी फर्म ईवाई इंडिया के डायरेक्टर पुनीत गुप्ता ने बताया कि बजट में दिए गए प्रस्ताव के मुताबिक अगर किसी कर्मचारी को अपने एंप्लॉयर के बदले किसी और थर्ड पार्टी से पेमेंट मिलता है तो उसे भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा। दूसरे शब्दों में समझें तो टैक्स के दायरे में ऐसे केस भी आएंगे जिनमें पेमेंट देने वाले और लेने वाले के बीच एंप्लॉयर.एंप्लॉयी का रिश्ता नहीं है। उदाहरण के लिए किसी विदेशी कंपनी की भारतीय सब्सिडियरी से जॉब खत्म होने पर विदेशी कंपनी से मिलने वाले सेवेरेंस पेमेंट पर भी टैक्स लगेगा। कंपनियों के एक होने और अधिग्रहण की स्थिति में भी अधिग्रहण करने वाली कंपनी से प्राप्त आय भी टैक्स दायरे में आ जाएगी।
नए आयकर कानून का सरल रूप
———————————–फाइनैंस बिल के मेमोरेंडम के मुताबिक कई पेमेंट्स के टैक्स के दायरे में न होने से राजस्व की हानि होती थी। इसीलिए आयकर कानून के सेक्शन 56 में संशोधन करने का प्रस्ताव लाया गया है। एंप्लॉयमेंट के टर्मिनेशन पर कॉम्पेंसेशन या किसी अन्य पेमेंट को दूसरे स्रोतों से इनकम माना जाएगा। ऐसी आय पर स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा। बजट प्रस्तावों के मुताबिक 1 करोड़ से ज्यादा की टैक्स योग्य आय पर अधिकतम 36 प्रतिशत टैक्स लग सकता है। इस संशोधन में एंप्लॉयर से पिंक स्लिप मिलने नौकरी से हटाने या वीआरएस के मामलों को नहीं रखा गया है।
डिजिटल टैक्स
———————–वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार बजट में उन विदेशी डिजिटल एंटिटिज को टैक्स के दायरे में लाने का विचार रखा है जिनका देश में बड़ा यूजर बेस या बिजनेस है लेकिन उनका अस्तित्व यहां नहीं है। मसलन फेसबुक, गूगल या नेटफ्लिक्स जैसी कंपनियों के भारत में लाखों यूजर हैं लेकिन इन कंपनियों का संचालन विदेशों से होता है। हालांकि ऐसी कंपनियों के दफ्तर भारत में भी हैं लेकिन उनका ऑपरेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर यहां नहीं है। बजट में पहली बार इस बात का जिक्र किया गया है कि केंद्र सरकार इनकम टैक्स एक्ट 9 में संशोधन कर ऐसी विदेशी डिजिटल कंपनियों से टैक्स वसूलने की तरफ कदम बढ़ा रही है। सरकार के इस कदम से न केवल गूगल, फेसबुक और नेटफ्लिक्स जैसी बड़ी कंपनियों पर असर पड़ेगा बल्कि भारत में कारोबार करनेवाली इंटरनेट आधारित छोटी विदेशी कंपनियां भी इसके दायरे में आएंगी।