संविधान पीठ का फैसलाःएक राज्य के एससी-एसटी को दूसरे राज्य की नौकरी में इस जाति का आरक्षण नहीं
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
——————————– आरक्षण व्यवस्था पर सुप्रीम कोर्ट का हथोडा चल गया है जिससे अब एक राज्य के एससी-एसटी को दूसरे राज्य की नौकरी में इस जाति का आरक्षण नही मिल पाएगा। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ का आज एक अहम फैसला आया है। इसके मुताबिक दिल्ली में सरकारी नौकरी करने वालों को अनुसूचित जाति से संबंधित आरक्षण केंद्रीय सूची के हिसाब से मिलेगा। एक राज्य के अनुसूचित जाति और जनजाति को दूसरे राज्य की नौकरी में इस जाति को मिलने वाला आरक्षण नहीं मिलेगा। राज्य सरकारें अनुसूचित जाति, जनजाति की लिस्ट में खुद बदलाव नहीं कर सकती बल्कि यह राष्ट्पति के अधिकार के दायरे में है। हां राज्य सरकार संसद की अनुमति से ही लिस्ट में बदलाव कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के सामने सवाल था कि क्या एक राज्य का व्यक्ति जो वहां अनुसूचित जाति में है, दूसरे राज्य में अनुसूचित जाति को मिलने वाले आरक्षण का लाभ ले सकता है या नहीं? फैसले में यह भी कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) (आरक्षण प्रदान करने की शक्ति) के आधार पर राज्यों द्वारा एकतरफा कार्यवाही संवैधानिक अराजकता का एक संभावित ट्रिगर बिंदु हो सकती है और इसे संविधान के तहत अपरिहार्य माना जाना चाहिए। फैसले में कहा गया है कि एक राज्य में एससी-एसटी से संबंधित व्यक्ति को किसी भी अन्य राज्य के संबंध में एससी-एसटी व्यक्ति माना नहीं जा सकता, जिसके लिए वह रोजगार या शिक्षा के उद्देश्य से प्रवास करता है। यदि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य को भारत के पूरे क्षेत्र में उस स्थिति का लाभ मिलता है तो उस राज्य के संबंध में ये अभिव्यक्ति तुच्छ हो जाएगी और उस राज्य के व्यक्ति को इस लाभ से वंचित कर दिया जाएगा।