कानून रिव्यू/नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या किसी कर्मचारी के खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (1 )के तहत निजी सूचना है। भारतीय खाद्य निगम ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फ़ैसले को चुनौती दी है जिसमें उसने कहा था कि इस तरह की सूचना निजी सूचना नहीं है और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के बारे में जनता को बताया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए इस बारे में नोटिस जारी किया है। निगम ने केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसने उसे इस कार्रवाई के बारे में सूचना देने को कहा था। आरटीआई कार्यकर्ता ने इस कार्रवाई के बारे में सूचना की मांग की थी। हाईकोर्ट के समक्ष निगम ने गिरीश रामचंद्र देशपांडे बनाम केंद्रीय सूचना आयुक्त में आए फ़ैसले पर भरोसा जताते हुए दलील दी थी। इस फ़ैसले में कहा गया था कि किसी व्यक्ति ने अपने आयकर रिटर्न में जो सूचना सार्वजनिक की है वह निजी है और आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1 ) के तहत निजी सूचना है और इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है बशर्ते कि आम लोगों को इसके बारे में जानना बेहद ज़रूरी है। इस याचिका को ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इस मामले में उस व्यक्ति के आयकर रिटर्न को आधार बनाकर कहा है कि संबंधित सूचना निजी सूचना है और इसे आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1 ) के तहत के सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। वर्तमान मामले में चूंकि याचिकाकर्ता के अधिकारी के खिलिफ़ चार्जशीट दाख़लि किया जा चुका है, उसके खिलाफ़ विभागीय कार्रवाई हो चुकी है और उसको अंततः सज़ा दी जा चुकी है तब याचिकाकर्ता के पास ऐसी कौन सी सूचना है जो निजी है और याचिकाकर्ता इसका विवरण क्यों नहीं दे रहा है।