मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में नोएडा पुलिस के अलावा सीबीआई भी फेल साबित
4 अहम वजह जिनके चलते तलवार दंपती को संदेह का फायदा मिला
- कानून रिव्यू/इलाहाबाद
——————- आरुषि मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजेश और नपुर तलवार को बेनिफिट ऑफ डाउट यसंदेह का फायदाद्ध देते हुए बरी कर दिया है। वर्ष 2013 में सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपती को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। फिलहाल 4 ऐसी अहम वजहें सामने आई हैं जिनसे समझा जा सकता है कि तलवार दंपती को संदेह का फायदा मिला। बता दें कि 16 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार स्थित घर में 14 साल की आरुषि का मर्डर कर दिया गया था। घर में छत पर नौकर हेमराज का शव भी बरामद किया गया।
4 कारण जिनके आधार पर राजेश और नूपुर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी किया
कारणः- 1 सीबीआई ने बताया कि आरुषि हेमराज की हत्या एक कमरे में हुई। बाद में हेमराज का शव छत पर ले गए।
जज का सवालः-अगर नौकर हेमराज की हत्या आरुषि के कमरे में ही की गई तो उसका ब्लड आरुषि के कमरे में क्यों नहीं मिला
सीबीआईः- हेमराज के सिर में जहां चोट लगीए वहां से तुरंत खून नहीं निकलता है। बाल भी घने थे जिससे खून रुक गया।
- जज ने डॉक्टर को बुलवाया। सीबीआई को डेमो देने को कहा। उसे देख डॉक्टर ने कहा कि सिर में इतनी गहरी चोट के बाद खून गिरना ही चाहिए था। यानी हत्या कमरे में नहीं हुई है।
कारणः- 2 घटनास्थल पर सबसे पहले नौकरानी भारती आई थी। उसने पहले कहा था जो समझाया गया वही बयान दे रही हूं।
जज का सवालः- भारती का असली बयान क्या था इससे साफ होगा कि कातिल घटना के बाद भी घर में ही था या बाहर चला गया था।
सीबीआईः-बयान लिखने में गलती हुई है। सही बयान था मुझे समझ में आया वही बयान दे रही हूं। पहली बार घटनास्थल पर पहुंचने का हमने वीडियो भी बनाया था।
- जज ने दरवाजा बंद कर नौकरानी को चाबी देने का डेमो वीडियो दिखाने को कहा। पर सीबीआई यह पेश नहीं कर पाई।
कारणः- 3 सीबीआई ने कहा कि हत्या के वक्त दरवाजा बंद था। चार में से दो की हत्या हुई। बचे दो ही हत्यारे हैं।
हाईकोर्ट में साबित हुआ दरवाजा खुला था। बाहरी आ सकता था। शराब की बोतलें सबूत हैं।
कारणः- 4 सीबीआई ने कहा कि आरुषि पर सेक्शुअल असॉल्ट हुआ। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने गवाही दी है।
हाईकोर्ट में साबित हुआ डॉक्टर ने सब्जेक्टिव फाइंडिंग के आधार पर राय दी। यह विचार है।
टर्निंग प्वाइंट सीबीआई के दावे को बचाव पक्ष ने इन दलीलों से किया खारिज
सीबीआई का दावा
- आरुषि के साथ हुआ था सेक्शुअल असॉल्ट। हेमराज को आरुषि के साथ आपत्तिजनक हालत में देखकर राजेश ने गुस्से में आकर मर्डर कर दिया था।
बचाव पक्ष की दलील
- ऐसा साक्ष्य नहीं मिला जिससे पता चले कि हेमराज की हत्या आरुषि के कमरे में हुई हो। महत्वपूर्ण साक्ष्य सीएफएसएल दिल्ली की रिपोर्ट में पता चला था कि आरुषि के तकिये बेडशीट व गद्दे की जांच में हेमराज का कोई डीएनए या ब्लड नहीं पाया गया था। सीडीएफडीए हैदराबाद के डीएनए एक्सपर्ट ने बताया कि कमरे से सिर्फ आरुषि का ही डीएनए मिला था।
इमोशनल एक दलील पर कोर्ट में सभी भावुक हो गए
- ————————————— जब चरित्र पर सवाल उठा तो वकील की दलील, जज साहब आप भगवान हैं। पर आपके ऊपर भी भगवान है। ये समझें कि वो महज 13 साल की ही थी। दे दीजिए हमें फांसी पर दाग रह जाएगा। चरित्र पर पहले भी खूब बातें हुईं और अब फिर होंगी।
इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में नोएडा पुलिस के अलावा सीबीआई भी फेल साबित
- ——————————————————————————–नोएडा इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला आने के बाद, 9 साल 5 माह पुराना वह सवाल फिर खड़ा हो गया है कि आखिर किसने की आरुषि और हेमराज की हत्या? देश की सबसे बड़ी इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में नोएडा पुलिस के अलावा देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई भी फेल साबित हुई। इस केस में नोएडा पुलिस ने पहले तलवार दंपत्ती को आरोपी बनाया। सीबीआई के जांच अधिकारी बदले और फिर से परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर तलवार दंपत्ती को आरोपी बना दिया गया। अब इलाहाबाद हाइकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल, आखिर किसने दिया देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री को अंजाम।
फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने में लापरवाही के कारण नहीं आया सच सामने
- ——————————————————————-दुनिया में किसी भी हत्याकांड का पर्दाफाश तीन साक्ष्य पर ही निर्भर करता है। प्रत्यक्ष, फॉरेंसिक या परिस्थितिजन्य साक्ष्य। आरुषि हत्याकांड में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं था। आरुषि और हेमराज के शव मिलने के बाद नोएडा पुलिस के पास फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने का मौका था, जिसे उन्होंने गंवा दिया। नोएडा पुलिस ने थोड़ा खुद, थोड़ा मीडिया कर्मियों तथा बचा-खुचा साक्ष्य अन्य लोगों को मिटाने का मौका दे दिया। आरुषि हत्याकांड के पंद्रह दिन बाद सीबीआई जांच करने आई। उसने फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाया लेकिन तब तक बहुत कुछ धुल और घुल चुका था।
सर्विलांस के आगे फॉरेंसिक को नहीं दिया था तवज्जो
- ———————————-दरअसल, 2008 तक नोएडा पुलिस पर पूरी तरह से सर्विलांस सिस्टम हावी हो चुका था। ज्यादातर केस सर्विलांस के सहारे सुलझ रहे थे। आरुषि हत्याकांड को भी नोएडा पुलिस सर्विलांस की मदद से खोल देने के गुमान में थी। उसने यही किया। डॉ. राजेश तलवार का मोबाइल सर्विलांस पर लेकर उन्हें गिरफ्तार भी किया, लेकिन दुनिया के सामने सच नहीं रख सकी। नोएडा पुलिस की उस समय बरती गई लापरवाही का नतीजा था कि सीबीआई भी सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री का पर्दाफाश करने में फेल हुई।
नोएडा पुलिस ने यह फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने में दिखाई थी लापरवाही
- – आरुषि और हेमराज दोनों का शव मिलने के बाद सीन ऑफ क्राइम को सील नहीं किया गया।
- – सीन ऑफ क्राइम पर पुलिस अधिकारियों के साथ भारी संख्या में मीडिया व अन्य लोग थे मौजूद। कई सबूत हुए नष्ट।
- – सीन ऑफ क्राइम की विडियोग्राफी नहीं हुई।
- – सीन ऑफ क्राइम के पास पड़ी, एक-एक चीज की बारीकी से जांच नहीं हुई। न ही उनसे फिंगर प्रिंट लिए गए। छत पर मौजूद खून सने पंजे के निशान और फुट प्रिंट को नहीं लिया गया।
- – आरुषि के नाखून में चमड़े का अंश था, उसकी जांच नहीं कराई गई।
- – आरुषि के बिस्तर पर बाल पड़े थे, उसकी जांच भी नहीं हुई।
- – छत पर जगह-जगह पड़े खून के सैंपल नहीं लिए गए। सीबीआई जबतक सैंपल लेती, उससे पहले बारिश हो गई थी, जिसमें वह धुल गए।
- – हेमराज के कमरे में शराब की बोतल पर मौजूद फिंगर प्रिंट को नहीं लिया गया।
- – तलवार दंपती समेत अन्य लोगों के फिंगर और फुट प्रिंट नहीं लिए गए थे।
- – तलवार दंपती के घटना के वक्त पहने कपड़े को जब्त नहीं किया गया।
- – खोजी कुत्ते का सहारा नहीं लिया गया था।
तलवार दंपत्ती को आरोपी बनाने पर भी इन सवालों के नहीं मिले थे जवाब
- – हत्या पहले हेमराज की हुई या आरुषि की।
- – सीबीआई के अनुसार गोल्फ स्टिक के वार से आरुषि की हत्या हुई थी। फिर हेमराज को कैसे मारा गया। अगर ऐसा है तो आरुषि की गर्दन काटने की जरूरत क्यों पड़ी?
- – गर्दन काटने के लिए किस हथियार का इस्तेमाल हुआ?
- – हेमराज का फोन कहां गया?
- – आला कत्ल कहां गया?
- – 15 मई 2008 की रात हेमराज के मोबाइल पर निठारी के पीसीओ से फोन आया था। वह फोन किसने और क्यों किया था।
आरुषि का हत्यारा पकड़ा जाए
- ———————–आरुषि के नाना सेवानिवृत ग्रुप कैप्टन बीजी चिपनिस ने कहा हमें इलाहाबाद हाइकोर्ट से न्याय की उम्मीद थी। आरुषि हत्याकांड में उनकी बेटी डॉ. नुपुर तलवार और दामाद डॉ. राजेश तलवार को सीबीआई ने आरोपी बनाया है। पहले उसी सीबीआइ ने दोनों को बरी किया था। इस केस में उनके परिवार के साथ बहुत गलत हुआ। पहले पोती की हत्या हो गई। फिर उसके ही माता-पिता को आरोपी बना दिया गया। हालांकि, अब भी हम चाहते हैं कि आरुषि का हत्यारा पकड़ा जाए।