कानून रिव्यू/ग्रेटर नोएडा
गौतमबुद्धनगर में एक व्यक्ति ने इलाज में सरकारी मद्द न मिलने का कारण बताते हुए इच्छा मृत्यु की मांग कर डाली है और जिससे जिला प्रशासन सकते में आ गया है। हालांकि प्रशासन की ओर से पीडित को भरोसा दिलाया गया है कि उसका इलाज करवाया जाएगा और जो भी सरकार की मद्द की बात है शासन को भेजा जाएगा। इच्छा मृत्यु की मांग के लिए महामहिम राष्ट्रपति के नाम संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा गया है।
ज्ञापन में पीडित व्यक्ति ने अवगत कराया है कि कि प्रार्थी कन्हैया दिनांक 15 जून 2015 को सुबह लगभग 10 बजे अपने ग्राम मौहम्दाबाद खेड़ा थाना रबूपुरा गौतमबुद्धनगर में खेतों पर मजदूरी करने के बाद पानी लगाने वाले प्लास्टिक के पाइप का बंडल बनाकर कार्य करने के बाद वापस उसे देने जा रहा था, वही खेतों के रास्तों में 3 फुट की बाउंड्री में लोहे की एंगल में लगे कांटेदार तार से पाइप दूसरी तरफ फेंकने पर हाथ एंगल में टच हो गया। परिणामस्वरूप 11000 वोल्टेज का करंट प्रवाहित होने के कारण कारण प्रार्थी कन्हैया दुर्घटना का शिकार हो गया जिससे उसके शरीर में कई जगह भष्ट हो गई। इसका इलाज प्राइवेट अस्पताल शारदा में कराया गया और उसकी छोटी आंत इलाज के दौरान निकालनी पड़ी व हाथ पैरों से विकलांग हो चुका है । उसके इलाज में लगभग 900000 रुपए का खर्च आया जिस खर्च को परिवार वहन करने की स्थिति में नहीं था लेकिन परिवार जनों ने गांव के कुछ लोगों से कर्ज लेकर इलाज कराया यही कारण है कि आज उसका परिवार भुखमरी के कगार पर है।
ज्ञापन में यह भी अवगत कराया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार से कई बार पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद मांगी लेकिन इन 2 वर्षों में मुख्यमंत्री राहत कोष से कोई मद्द नहीं मिल पाई। वही करप्शन फ्री इंडिया संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय ने भी दो बार पत्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार से इस परिवार को मद्द दिलाने की मांग की लेकिन उत्तर उत्तर प्रदेश सरकार से आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला। इसलिए प्रार्थी अपनी पत्नी मंजू व चार बच्चों का पालन पोषण करने में असमर्थ है व गांव के कुछ लोगों का जो कर्ज लिया था उसको में चुकाने के लिए उसके के पास कोई भी व्यवस्था नहीं है आज वह होशो हवास में आपसे इच्छा मृत्यु की मांग करता है
अतः श्रीमान जी आप से निवेदन है की मुझे इच्छा मृत्यु देने की कृपा करें आपकी अति कृपा होगी। उधर एसडीएम सदर ने ज्ञापन लेने के बाद आश्वस्त किया कि उसके इलाज में पूरी मद्द के लिए जिला प्रशासन कृत संकल्पित है और रही बात मुख्यमंत्री राहत कोष से मद्द की उसके लिए शासन को लिखा जाएगा
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क्या है सक्रिय और निष्क्रिय इच्छा मृत्यः
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इच्छा मृत्यु का मतलब किसी गंभीर और लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए डॉक्टर की सहायता से उसके जीवन का अंत करना है. इच्छामृत्यु को मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है. पहली सक्रिय इच्छा मृत्यु (ऐक्टिव यूथेनेजिया) और दूसरी निष्क्रिय इच्छा मृत्यु (पैसिव यूथेनेजिया). अब पहले इन दोनों में अंतर समझ लीजिए. सक्रिय इच्छा मृत्यु में लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के जीवन का अंत डॉक्टर की सहायता से उसे जहर का इंजेक्शन देने जैसा कदम उठाकर किया जा सकता है. सक्रिय इच्छा मृत्यु को भारत सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में अपराध माना जाता है. हालांकि नीदरलैंड्स और फ्रांस सहित कुछ देशों में कानून की अनुमति से सक्रिय इच्छा मृ्त्यु दिए जाने का प्रावधान है। 7 मार्च 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने भारत में निष्क्रिय इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दी थी. यह फैसला 42 वर्ष तक कोमा में रहने वाली मुंबई की नर्स अरुणा शॉनबाग को इच्छामृत्यु दिए जाने को लेकर दायर याचिका के बाद दिया गया था. हालांकि कोर्ट ने अरुणा को इच्छा मृत्यु दिए जाने की याचिक तो खारिज कर दी थी लेकिन निष्क्रिय इच्छामृत्यु की मंजूदी दे दी थी. लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने 2011 में इच्छामृत्यु के मामले में दिए गए फैसले को असंगत करार देते हुए इसे पांच जजों की संवैधानिक पीठ को सौंप दिया था. तब से यह मामला संवैधानिक पीठ के पास लंबित है. लेकिन सरकार इस मामले में कोई फैसला कोर्ट द्वारा गठित संवैधानिक पीठ के विचार सामने आने के बाद ही कर सकती है।
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कानूनी विशेषज्ञ क्या कहते हैं
इच्छा मृत्यु पर कानूनी विशेषज्ञों की स्पष्ट राय है कि सरकार का दायित्व है कि हर नागरिक के स्वास्थ्य,शिक्षा,सुरक्षा आदि मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करें अमूमन देखने में आता है जब व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा होता है या फिर उसके किसी अधिकार का हनन हो रहा होता है तब परिस्थिति विशेष में इच्छा मृत्यु जैसे मांग के लिए कदम उठता है सरकार को समस्या की तह पर जाते हुए उसका हल निकालना चाहिए।……………