ऐसा सिर्फ भारत में ही होता है की यादव सिंह जैसे इंजीनियर को जिसका निलंबन भ्रष्टाचार के कारण कर दिया गया तह और जिसके ऊपर 954 करोड़ के घोटाले का मुकदमा चल रहा हो उसको फिर से नौकरी पर न सिर्फ बहाल कर दिया जाता है बल्कि उसकी पदोन्नति भी कर दी जाती है ताकि वो पहले से भी अधिक भ्रष्टाचार कर सके | वहीं दूसरी और एक फिल्म अभिनेत्री को सरेआम एक व्यक्ति थप्पड़ मार देता है, सिर्फ इसलिए की वो अभिनेत्री छोटे कपडे पहनती है, क्या अपनी पसंद के कपड़े पहनना गुनाह है ये सोचकर मुझे बड़ी हैरानी होती है की इस सोशल मीडिया के युग में हमारा भारत किस ओर जा रहा है आखिर हम भारतवासियों का विकास हो रहा है या पतन |
लोगो से इस बारे में अगर उनकी राय माँगी जाए तो सब अलग अलग बात कहेंगे कोई कहेगा की राजनेतिक भ्रष्टाचार के कारण ही ये सब होता है तो कोई कहेगा की भारत का कानून कमजोर है इसलिए यहा लोग आसानी से ये सब अपराध कर लेते है परन्तु में समझता हूँ की वास्तविकता कुछ और ही है | केवल कानून की मजबूत करने से न तो पूरी तरह से ऐसे अपराध रुकेगे और न पूरी तरह से भ्रष्टाचार मिटेगा |
बलात्कार के लिए भी तमाम बड़े बड़े कानून बनाये गए लेकिन क्या बलात्कार होना बंद हो गए? दहेज उत्पीड़न के लिए तमाम कानून बनाये गए मगर क्या दहेज उत्पीड़न बंद हो गया? असल मे जब मनुष्य अपनी मर्यादाओं को भूल कर अपनी सीमाओं को तोड़ता है तो वो कुछ भी कर गुजर जाता है, क्यूंकी फिर उसके सामने कोई सीमा नही होती | वो जाहे तो विश्व कीर्तिमान स्थापीटकर सकता है ओए जाहे तो बड़े सा बड़ा अपराध कर सकता है असल मे इस सब की जो जड़ है वो है मनुष्य का चारित्रिक निर्माण |
मनुष्य अपराध करेगा या विश्व कीर्तिमान स्थापित करे गा ये इस बात पर निर्भर करता है की उस व्यक्ति का चरित्रिक निर्माण कैसा हुआ है | जब मनुष्य चरित्रिक निर्माण उच्च स्तर का होता है तो एक चाय वाला भी भारत का प्रधानमंत्री बन जाता है क्यूंकी उसने अपनी सीमाओं से आप्रे जाकर अपने देशवासियों के लिए करने की कुछ सोची और उसकी इसी सोच ने उसको उस मुकाम तक पहुँचा दिया जन्हा तक राजनीति के बड़े बड़े धुरंधर नही पहुँच पाते |
वही दूसरी और मनुष्य का चारित्रिक पतन हो जाता है तो वो यादव सिंह जैसे भ्रष्ट अफसर बन जाता है और शुरू होता आयी लूटपाट का खेल | चाहे वो यादव सिंह हो या वो व्यक्ति जिसने गौहर ख़ान को थप्पड़ मारा य लोग असल मे मानसिक रूप से बीमार है, और सस्ती लोकप्रियता को हासिल करने के लिए आजकल लोग इस तरह की हरकत करने को तेयार हो जाते है | आज भारत में अपराध की सख्या बढ़ने का मुख्या कारण ये ही है की मनुष्य का निरंतर चारित्रिक पतन हो रहा है और हम अपराध को रोकने के लिए दूसरे कारणओ पर ध्यान दे रहे है जबकि सबसे अधिक जरूरी है मनुष्य के चारित्रिक निर्माण पर ध्यान देना |
अमित कुमार राणा
आड्वोकेट