उत्तर प्रदेश राज्य के विभिन्न क्वारंटीन केंद्रों की अस्वच्छता और अमानवीय स्थितियों के बारे में संज्ञान लिया
कानून रिव्यू/इलाहाबाद
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य के विभिन्न क्वारंटीन केंद्रों की अस्वच्छता और अमानवीय स्थितियों के बारे में संज्ञान लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की एक खंडपीठ ने क्वारंटीन केंद्रों पर दयनीय परिस्थितियों को उजागर करते हुए हाईकोर्ट के अधिवक्ता गौरव के द्वारा भेजे गए ई.मेल के आधार पर एक जनहित याचिका दर्ज की थी। अधिवक्ता गौरव ने अदालत को ईमेल से यह बताया था कि पेशे से इंजीनियर वीरेंद्र सिंह ने हाल ही में कोविड-19 संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था। अधिवक्ता गौरव को इंजीनियर वीरेंद्र सिंह की पत्नी ने टेलीफोन पर सूचित किया कि क्वारंटीन केंद्र, जहां वह और उनके परिवार के अन्य सदस्य ठहरे थे। वहां पर्याप्त स्वच्छता नहीं रखी गई थी। जहां तक क्वारंटाइन केंद्रों के रखरखाव की बात थी मृतक इंजिनियर की पत्नी द्वारा बनाई गई एक वीडियो में भी प्रशासन की ओर से कुछ सुस्ती दिखाई गई थी जिस पर अदालत ने गौर किया था। अधिवक्ता गौरव के प्रतिनिधित्व के आधार पर पीठ ने राज्य सरकार से बीते 7 मई 2020 को यह जवाब मांगा था और मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए मुख्य स्थायी वकील को कुछ समय दिया था और मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने आदेश में यह देखा किए अदालत को ई.मेल द्वारा प्राप्त निर्देशों के अनुसार राज्य द्वारा क्वारंटाइन केंद्रों को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा जो इलाज श्री वी0 के0 सिंह को दिया गया वो भी उचित प्रतीत होता है। अदालत ने अपने आदेश में आगे कहा किए हालांकि जैसा कि हम इलाज के संबंध में राज्य की तैयारियों के बारे में नहीं जानते हैं जो राज्य ऐसे लोगों को जो कोविड-19 से आगे प्रभावित हो रहे हैं उन्हें राहत प्रदान करने का इरादा रखता है। इसलिए हम इस जनहित याचिका के साथ आगे बढ़ रहे हैं। अदालत द्वारा इलाहाबाद शहर में अस्पतालों की एक सूची का जिक्र किया गयाए जो कि अदालत को मिली सूचना के मुताबिक राज्य द्वारा चलाए जा रहे हैं। अदालत ने यह कहा कि चूंकि इस जनहित याचिका में अदालत इस बात पर गौर कर रही है कि आखिर शहर के अस्पताल किस तरह से कोविड-19 के चलते उत्पन्न स्थिति को संभालने के लिए तैयार हैं। इसलिए उच्च न्यायालय ने राज्य से यह जानकारी मांगी कि इन अस्पतालों में निम्नलिखित सुविधाएं मौजूद हैं या नहीं। जैसे इंटेंसिव कोरोनरी केयर यूनिट, इंटेंसिव केयर यूनिट, डायलिसिस यूनिट्स, वेंटिलेटर्स, मोबाइल एक्स.रे मशीनें। अदालत ने यह भी कहा है कि राज्य को इन अस्पतालों में काम करने वाले योग्य डॉक्टरों और नर्सों इंटर्न के अलावा की संख्या की भी जानकारी देनी होगी। प्रत्येक अस्पताल के विवरण के साथ यह भी बताया जाना होगा कि अस्पताल परिसर को किस प्रकार से सेनिटाईज एवं साफ किया जा रहा है। यह मामला अब 14 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।