पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बैंच के समर्थन में बार कौंसिल उत्तर प्रदेश के चेयरमैन के बयान का आभार जताया
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा
गौतमबुद्धनगर जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन ( राजकुमार गुट ) ने बार कौंसिल उत्तर प्रदेश के चेयरमैन द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बैंच के स्थापित के समर्थन में दिए गए बयान का समर्थन किया गया है वहीं इस बयान पर हाईकोर्ट इलाहाबाद के अधिवक्ताआें द्वारा किए गए विरोध पर पलटवार किया है। ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में गौतमबुद्धनगर दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन ( राजकुमार गुट ) के अध्यक्ष राजकुमार नागर ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच स्थापित किए जाने के लिए इस क्षेत्र के अधिवक्ता कई वर्षो से संघर्ष कर रहे हैं, मगर सरकार के कानों पर कोई भी जूं नही रैंग रही हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता हमेशा से ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच स्थापित किए जाने का विरोध करते चले आ रहे हैं। जब कि हाईकोर्ट बैंच के लिए संघर्ष समिति पूरे जोर शोर से लगी हुई है। उन्होंने कहा कि बार कौंसिल उत्तर प्रदेश के चेयरमैन हरिशंकर सिंह ने भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच स्थापित किए जाने के समर्थन में अपना वक्तव्य दिया है तो न केवल तरीफे काबिल है बल्कि यह वक्तव्य जनभावनाओं का भी सम्मान करने वाला है। उन्हांंने कहा कि वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने बार कौंसिल उत्तर प्रदेश के चेयरमैन के इस वक्तव्य का विरोध किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता हमेशा से ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना का विरोध करते चले आ रहे हैं,जो गलत है। उन्हांंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लाहौर की दूरी 500 किमी है और इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूरी 700 किमी बैठती है फिर सस्ते न्याय के सुलभ होने की बात कैस सही होती है। एक तरफ सरकार सस्ते न्याय के सुलभ होने की कहती है वहीं इस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना के मुद्दे पर सुस्त रवैया अपनाया जा रहा है। इस मुद्दे पर आगामी 30 नवंबर-2019 में संघर्ष समिति की बुलंदशहर में होने वाली बैठक में आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष विपिन भाटी ने कहा कि सस्ता सुलभ न्याय की बात सरकार सिर्फ दिखावे के लिए करती है। गौतमबुद्धनगर में जिला कोर्ट में पर्याप्त स्थान है मगर भी ग्रामीण न्यायालय की बात कही जा रही है और यह ग्रामीण न्यायालय बादलपुर जैसे स्थान यानी जनपद के एक छोर पर बनाने की बात की जा रही है। ग्रामीण न्यायालय में 2 वर्ष तक की सजा और 25 हजार के रूपये के जुर्माने तक मुकमदें तय किए जाने का प्रावधान है। यदि यह ग्रामीण न्यायालय जिला मुख्यालय से दूर किसी दूसरे स्थान पर बनता है तो इससे न्याय सस्ता सुलभ होने की बजाय मंहगा और देरी से मिलने वाला न्याय हो जाएगा। सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिला न्यायालय, सेशन और सभी कोर्ट जिला मुख्यालय सूरजपुर में हैं और ग्रामीण न्यायायल किसी एक छोर पर होगा तो वादकारियों और अधिवक्ताओं द्वारा भागदौड बेवजह बढ जाएगी और साथ ही देरी से और खर्चीला न्याय हो जाएगा। इस ग्रामीण न्यायालय के मुद्दे पर भी बार एसोसिएशन की हडताल चल रही है। पत्रकार वार्ता में ब्रहम सिंह नागर, देवेंद्र सिंह आर्य, जगदीश भाटी, ब्रहमदत्त गौड, महेश गुर्जर, जितेंद्र मोहन, गजेंद्र खारी और सचिन कौशिक आदि अधिवक्तागण उपस्थित रहे।