कानून रिव्यू/नई दिल्ली
चुनावों में ईवीएम मशीनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। इस जनहित याचिका में देश के चुनावों में ईवीएम के उपयोग पर सवाल उठाया गया था और हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों को रद्द कर दोबारा बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की गई थी। याचिका में ये भी कहा गया था कि चुनाव आयोग के पास वोटिंग मशीनों का उपयोग करके चुनाव कराने की शक्ति नहीं है। जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की पीठ ने इस मामले में याचिका पर आश्चर्य व्यक्त किया और याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा से पूछा कि ये क्या याचिका है? क्या आप यह जानते हैं कि आप क्या चाहते हैं? आप पूरे लोकसभा चुनाव को रद्द करना चाहते हैं। पीठ ने इस मामले में सुनवाई से इंकार कर दिया तो याचिकाकर्ता ने इस याचिका को वापस ले लिया। इस जनहित याचिका में बैलट पेपर का इस्तेमाल कर नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की गई थी। हालांकि जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 61 ईवीएम के उपयोग की अनुमति देती है लेकिन याचिकाकर्ता शर्मा का तर्क यह है कि यह प्रावधान असंवैधानिक है और हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव रद्द किए जाने चाहिए। 1.5 महीने के अंतराल में ईवीएम को लेकर कोर्ट में यह चौथी याचिका है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही 2 बार विपक्षी दलों द्वारा वीवीपीएटी और ईवीएम के 50 प्रतिशत सत्यापन की मांग को खारिज कर चुका है। इसके साथ ही कोर्ट ने कुछ टेक्नोक्रेट्स की एक अन्य याचिका को भी खारिज कर दिया था जिसमें वीवीपीएटी और ईवीएम के 100 प्रतिशत सत्यापन की मांग की गई थी। अदालत ने यह कहा था कि वह चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करेगा और लोगों को अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने की अनुमति दी जानी चाहिए। पीठ ने ये भी कहा था कि वह बार.बार ऐसी याचिका दाखिल करने की अनुमति नहीं देगा।