-कानून रिव्यू/उत्तर प्रदेश
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उत्तर प्रदेश में शादी के क्रम मे विवाह पंजीकरण अनिवार्य किया जा रहा है। विवाह पंजीकरण अब सभी के लिए जरूरी कर दिया गया है। विवाह पंजीकरण कानून में जितनी पुरानी शादी होगी उसके पंजीकरण के लिए उतनी ही ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने शादी के बंधन को और मजबूत बनाने के लिए विवाह पंजीकरण कानून को अनिवार्य बना दिया है। इसके तहत शादी के एक साल तक पंजीकरण फीस 10 रुपये होगी लेकिन अगर शादी पुरानी है तो 50 रुपये प्रति साल के हिसाब से फीस लगेगी। खास है कि सरकार के विवाह पंजीकरण कानून में जाति-धर्म का भेद मिटाते हुए सभी के लिए अनिवार्य किया गया है। शासन से जारी अधिसूचना के अनुसार अब प्रत्येक विवाह व पुनर्विवाह जहां विवाह के पक्षकारों में कोई एक उप्र का निवासी हो या विवाह उप्र की सीमा में संपन्न हुआ, उनके लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। पंजीकरण से महिलाओं के कानूनी अधिकार के साथ ही राज्य में बाल विवाह पर रोक भी सुनिश्चित हो सकेगी।
इसके लिए पति-पत्नी को ऑनलाइन आवेदन के बाद विवाह पंजीकरण अधिकारी (उप-निबंधक) के समक्ष उपिस्थत होना होगा लेकिन अगर पति-पत्नी के पास आधार कार्ड है और मोबाइल नंबर से जुड़ा है तो स्वतः ही प्रमाणपत्र जनरेट हो जाएगा और सब रजिस्ट्रार के समक्ष नहीं जाना पड़ेगा। शासन सूत्रों के अनुसार, पति-पत्नी में अगर कोई एक भारत का नागरिक नहीं है तो आवेदन में उसका पासपोर्ट का विवरण भरना होगा। भारत सरकार द्वारा संचालित ऐसे कार्यक्रमों और योजनाओं जिनमें वैवाहिक स्थिति की सूचना दिया जाना जरूरी होगा, उनमें विवाह पंजीकरण क्रमांक भरा जाना अनिवार्य होगा। इसके लिए संबंधित विभागों के आवेदन पत्रों में भी विवाह पंजीकरण क्रमांक का कॉलम जोड़ा जाएगा।