लॉ पैनल का सुझाव, देश में दो चरणों में एक साथ चुनाव कराए जाएं
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
—————————-भारत में अब एक साथ ही चुनाव संपन्न कराए जा सकेंगे। पूर्व में लोकसभा चुनावों के साथ ही ज्यादातर राज्यों के चुनाव संपन्न हो जाया करते थे। किंतु पिछले करीब 3 दशक से आम चुनावों के साथ चुनिंदा राज्यों के चुनाव संपन्न कराए जा रहे हैं। इसका साफ सा कारण है कि राज्यों के कार्यकाल अलग अलग शुरू हो रहे हैं और समाप्ति का समय भी अलग अलग है। सरकार की मंशा है कि रोज रोज के चुनावों से सरकारी काम में बेवजह रूकावट आती है और दूसरी ओर चुनाव की तैयारियों में ही काफी समय यों ही बीत जाता है। इसलिए आम चुनावों के साथ ही पूरे देश की विधानसभाओं के चुनाव भी संपन्न करा लिए जाएं। सब कुछ ठीक रहा 2019 से पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की शुरुआत की जा सकती है। दो चरणों में ऐसा करना संभव है। सरकार के एक देश- एक चुनाव की अवधारणा को आकार देते हुए लॉ कमिशन के एक आंतरिक वर्किंग पेपर में यह बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि एक साथ चुनाव का दूसरा चरण 2024 में कराया जा सकता है। इस दस्तावेज में संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। ताकि इस कदम को प्रभावी बनाने के लिए राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटाया या बढ़ाया जा सके। संसदीय पैनल और नीति आयोग द्वारा सिफारिश किए जाने पर ये संशोधन आगे बढ़ सकते हैं। इस वर्किंग पेपर पर 17 अप्रैल को आयोग की पूर्ण बैठक में चर्चा होगी। लॉ पैनल के शीर्ष पदाधिकारी के मुताबिक यह एक मसौदा पत्र है और इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। अगर सदस्य कोई सुझाव देते हैं तो कानून मंत्रालय को अंतिम रिपोर्ट सौंपने से पहले इसमें बदलाव किया जा सकता है।
पहला चरण- 2019
———————–पहले चरण में जिन राज्यों का नाम सुझाया गया है वहां विधानसभा चुनाव 2021 में होने हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं। साथ चुनाव के लिए इनका कार्यकाल घटाना होगा।
दूसरा चरण- 2024
दूसरे चरण में आने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली और पंजाब शामिल हैं। इन राज्यों के चुनावों को लोकसभा चुनाव के साथ कराने के लिए विधानसभा का कार्यकाल बढ़ाना होगा।
अविश्वास प्रस्ताव के बाद विश्वास मत लेना होगा————————————————–चुनाव आयोग के सुझाव को आधार बनाकर तैयार किए गए इस वर्किंग पेपर के अनुसार किसी भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद विश्वास मत हासिल करना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि विपक्ष के पास वैकल्पिक सरकार के गठन के लिए जरूरत नंबर नहीं हैं। इसलिए मौजूदा सरकार को हटाया नहीं जा सकता।
क्या कहता है चुनाव आयोग
देश में एक साथ चुनाव कराने के सवाल पर चुनाव आयोग सधी हुई प्रतिक्रिया देता आया है। हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा था कि चुनाव एक साथ कराने के लिए कानूनी ढांचा तैयार करने की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही तैयारियों में भी लंबा समय लगेगा। एक बार कानूनी ढांचा तैयार हो जाएगा। चुनाव आयोग अपना काम करेगा। आयोग संविधान से बना है। हमें उसी के अनुसार काम करना होगा। जो कानूनसम्मत होगाए चुनाव आयोग वही करेगा।