सुप्रीम कोर्ट ने एडल्टरी यानी व्यभिचार के मामले में कानून को चुनौती देने वाली एक पिटीशन पांच जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दी है। इस कानून के मुताबिक शादी के बाद दूसरी शादीशुदा महिला से फिजिकल रिलेशन बनाने पर सिर्फ पुरुष को ही सजा देने का प्रावधान है।
आईपीसी के सेक्शन 497 में सिर्फ पुरुषों को सजा देने का जिक्र
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
————————— पति यदि किसी पराई स्त्री से शारीरिक संबंध बनाता है तो कानून उसे सजा मिलनी लाजिमी है और यदि इसी प्रकार कोई विवाहिता स्त्री किसी पराए पुरूष से शारीरिक संबंध स्थापित करती है तो उसे कोई सजा नही मिलती है। जब कि कानून सबके के लिए बराबर है तो यह भेद क्यो हैं? विवाहिता स्त्री द्वारा किसी दूसरे पुरूष से फिजिकली रिलेशन बनाने का मामला एडल्टरी यानी व्यभिचार की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने एल्डटरी के मामले में समानता देने के लिए पहल शुरू कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने एडल्टरी यानी व्यभिचार के मामले में कानून को चुनौती देने वाली एक पिटीशन पांच जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दी है। इस कानून के मुताबिक शादी के बाद दूसरी शादीशुदा महिला से फिजिकल रिलेशन बनाने पर सिर्फ पुरुष को ही सजा देने का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
—————————— चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खान विलकर और डीवाई चंद्रचूड की बेंच इस पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि जब क्रिमिनल कानून महिला.पुरुष के लिए समान है तो ऐसा इंडियन पीनल कोर्ड के सेक्शन 497 में क्यों नहीं है?
. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1954 में 4 जजों की बेंच और 1985 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है जिसमें आईपीसी का सेक्शन 497 महिलाओं से भेदभाव नहीं करता।. 1954 के फैसले में सेक्शन 497 की वैलिडिटी को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह राइट टू इक्वलिटी की तरह फंडामेंटल राइट्स के खिलाफ नहीं है।
. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस पिटीशन पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।. कोर्ट ने कहा कि जीवन के हर तौर.तरीकों में महिलाओं को समान माना गया है तो इस मामले में अलग बर्ताव क्यो? जब गुनाह महिला.पुरुष दोनों की रजामंदी से किया गया हो तो महिला को प्रोटेक्शन क्यों दिया गया?
सेक्शन 497 में महिला को नहीं हो सकती सजा
——–. एडल्टरी की डेफिनेशन तय करने वाले आईपीसी के सेक्शन 497 में सिर्फ पुरुषों को सजा देने का जिक्र है। इसके मुताबिक किसी शादीशुदा महिला से उसके पति की मर्जी के खिलाफ फिजिकल रिलेशन बनाने वाले पुरुष को 5 साल तक की सजा हो सकती है, लेकिन महिला को विक्टम मानते हुए उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। भले चाहे रिलेशन दोनों की रजामंदी से बनाए गए हों।
कानून को किया चैलेंज
————————. केरल मूल के इटली में रहने वाले एक्टीविस्ट जोसफ साइन ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल लगाई है। पिटीशन में कहा गया है कि 150 साल पुराना ये कानून मौजूदा दौर में बेमानी है। यह तब का कानून है जब समाज में महिलाओं की हालत काफी कमजोर थी। ऐसे में एडल्टरी के मामलों में उन्हें विक्टिम का दर्जा दे दिया गया था।
पिटीशनर के वकील ने क्या दलील दी
—————————————पिटीशनर के वकील कालेश्वरम ने अपनी दलील में कहा कि आज औरतें की स्थिति मजबूत है। अगर वे अपनी मर्जी से गैरमर्द से संबंध बनाती हैं तो केस सिर्फ उस पुरुष पर नहीं चलना चाहिए।