मुख्य सचिव इस न्यायाधिकरण के फैसले के विपरीत आदेश कैसे पारित कर सकते हैं, जो एक आपराधिक कृत्य हैः एनजीटी
कानून रिव्यू/नई दिल्ली।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश सरकार को ईंट भट्ठों के अवैध संचालन के खिलाफ सतर्कता बरतने और समुचित कार्रवाई करने का आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि वायु गुणवत्ता को खराब करने में ईंट भट्ठा उद्योगों का बड़ा योगदान रहा है। एनजीटी प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि ईंट भट्ठा उद्योगों का दिल्ली और एनसीआर की आबोहवा में सर्दियों और गर्मियों में पीएम.10 उत्सर्जन में लगभग 5 से 7 फीसदी की भागीदारी रही है। पीठ ने कहा है कि हवा की गुणवत्ता की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश के संबंधित प्राधिकरण ईंट भट्ठों के अवैध संचालन के खिलाफ कड़ी निगरानी रखी जाए। पीठ ने ईंट भट्ठा शुरू करने की मांग को लेकर एक दाखिल याचिका को खारिज करते हुए यह निर्देश दिया है। ट्रिब्यूनल ने कोरोना महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान ईंट भट्ठा के संचलान की अनुमित देने पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आड़े हाथ लिया है। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि यह आश्चर्य की बात है कि मुख्य सचिव इस न्यायाधिकरण के फैसले के विपरीत आदेश कैसे पारित कर सकते हैं, जो एक आपराधिक कृत्य है। इससे पहले गाजियाबाद के जिलाधिकारी ने बेंच को बताया कि मार्च में कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन की वजह से ईंट भट्ठों का निरीक्षण नहीं किया जा सका। उन्होंने बेंच को बताया कि लॉकडाउन के दौरान मुख्य सचिव ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ईंट भट्ठों को राज्य में संचालित करने की अनुमति दें। ट्रिब्यूनल ने इससे पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एनसीआर और अन्य क्षेत्रों में ईंट भट्ठों की क्षमता अध्ययन और परिवेशी वायु गुणवत्ता पर इसके प्रभाव का संचालन करने का निर्देश दिया था। बेंच शैलेश सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में पर्यावरण हितों की अनदेखी कर चल रहे ईंट भट्ठों के खिलाफ समुचित कार्रवाई की मांग की गई है।