कानून रिव्यू/उत्तर प्रदेश
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राज्य में वारदात करने वाले अपराधियों के पकड़े जाते ही इसकी रिपोर्ट उसके गृह जनपद के थाने को भेज दी जाएगी। साथ ही वहां के थाने से उसके आपराधिक इतिहास मांगा जाएगा। इसके बाद दोनों जगह की पुलिस मिलकर उसके खिलाफ हिस्ट्रीशीटर या गैंगस्टर की कार्रवाई करेगी। क्रिमिनल पहले से हिस्ट्रीशीटर होगा तो उसकी हिस्ट्रीशीट खोलकर उसमें भी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अपराधियों पर नकेल कसने के लिए ऑपरेशन संदेश की शुरुआत के साथ यह व्यवस्था लागू करने जा रही है।
राजधानी लखनउ में अब तक हो चुके क्राइम में पकड़े गए आरोपितों का डेटा बैंक और उसका आपराधिक इतिहास जुटाने के लिए इस अभियान की शुरुआत की जा रही है। जघन्य मामलों में पकड़े जा चुके अपराधियों की थानेवार सूची तैयार हो रही है। सूची में शामिल क्रिमिनल का उसके थाने से ब्योरा लिया जाएगा। उसके परिवार के सदस्यों के बारे में भी जानकारी की जाएगी। अगर वह अपने थाने का हिस्ट्रीशीटर होगा तो उसके खिलाफ गैंगस्टर की कारवाई की जाएगी। तीन से ज्यादा वारदात को अंजाम दे चुके अपराधियों की दोनों जिले की पुलिस मिलकर हिस्ट्रीशीट तैयार करेगी।
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केस और क्रिमिनल का रहेगा डेटा बैंक
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एसएसपी के निर्देश पर ऑपरेशन संदेश की शुरुआत गोमतीनगर से जुड़े उत्तरी क्षेत्र से की जा रही है। एएसपी उत्तरी अनुराग वत्स ने बताया कि इस व्यवस्था से राजधानी में आकर क्राइम करने वालों का डेटा बैंक पुलिस के पास रहेगा। इससे किसी भी केस का खुलासा करने में आसानी होगी। अपराधी के बारे मे उसके थाने की पुलिस को भी जानकारी रहेगी कि वह दूसरे जिलों में कितनी वारदात कर चुका है। इसके आधार पर लोकल पुलिस उसके खिलाफ जिला बदर, हिस्ट्रीशीटर, गैंगस्टर या रासुका की कार्रवाई भी अपने स्तर से कर सकेगी।
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क्रिमिनल के क्राइम नेचर का रहेगा रिकॉर्डः
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एएसपी उत्तरी अनुराग वत्स के मुताबिक पुलिस गैंगों को चिह्नित कर उनके नेचर ऑफ क्राइम की डिटेल तो तैयार करती है, लेकिन अकेले वारदात करने वालों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। इससे किसी घटना के बाद पुलिस सीधे किसी क्रिमिनल को टारगेट करके तफ्तीश नहीं कर पाती है। ऑपरेशन संदेश से क्रिमिनल का डेटा बैंक बनने के साथ यह रिकॉर्ड भी बनता रहेगा कि कौन सा अपराधी किसी तरह के क्राइम करता है। ऐसे में किसी वारदात के बाद उसका खुलासा करने में आसानी होगी।