ड्राइवर ने कहा ट्रेन पर जब लोग पत्थर फैंकने लगे तो बढ़ा दी स्पीड
कानून रिव्यू/अमृतसर
———————–दशहरा पर्व के मौके पर रावण देखने के लिए आए लोगों पर रेल चढ गई और दर्जनों की संख्या में काल के गाल में समा गए। रेल का ड्राइवर मानों लोगो के लिए यमदूत बन कर आया या फिर रेल ड्राइवर की संवदेनाएं मर ही गई। अमृतसर रेल हादसे में 61 लोगों की मौत के बाद जीआरपी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए 304 ए और 338 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस जांच में रेल ड्राइवर ने कहा है कि मैंने ब्रेक लगाया लेकिन ट्रेन रुकी नहीं और लोग पत्थर फेंकने लगे तो रेल की स्पीड की बढा दी। तब यह खूनी रेल निरीह लोगों की जान लेते ही आगे बढ गई। जीआरपी ने इस मामले में घटना के वक्त ट्रेन चला रहे ड्राइवर अरविंद कुमार से भी पूछताछ की। कुमार ने बताया कि उन्होंने इमरजेंसी ब्रेक लगाया था लेकिन ट्रेन रुकी नहीं और गुस्साए लोग ट्रेन पर पत्थर फेंकने लगे थे। रेलवे प्रशासन को दिए लिखित बयान में अरविंद कुमार ने कहा कि जब उन्हें ट्रैक के पास लोग दिखे तो उन्होंने इमरजेंसी ब्रेक लगाया और लगातार हॉर्न भी बजाया। उन्हें ग्रीन सिग्नल दिया गया था इसलिए वह सामान्य स्पीड में आगे बढ़ गए।् इसके बाद वह जोड़ा फाटक पहुंचे जहां पर उन्हें डबल येलो लाइट दिखी जिसका मतलब होता है कि गाड़ी की स्पीड कम करनी है। उन्होंने स्पीड कम की लेकिन कुछ ही दूर में उन्हें ट्रैक पर लोगों की भीड़ दिखी। इमरजेंसी ब्रेक लगाया और लगातार हॉर्न बजाने लगा।् ट्रेन की स्पीड तेजी से कम हुई लेकिन फिर भी लोग उसकी चपेट में आ गए।् गाड़ी लगभग रुकने के करीब थी तभी लोगों का एक हुजूम मेरी गाड़ी पर पत्थर से हमला करने लगा। अरविंद कुमार ने जीआरपी को अपनी सपफाई में आगे लिखा कि गाड़ी में सवार यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने गाड़ी को आगे बढ़ाने का फैसला किया। उन्होंने लिखा कि अमृतसर स्टेशन पहुंचते ही उन्होंने अपने सीनियर अधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दी।