विपक्ष ने निजता के अधिकार पर हमला बताया
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
नरेंद्र मोदी सरकार कंप्यूटर का डेटा खंगाल सकती है। गृह मंत्रालय ने कंप्यूटर के डेटा की जांच के लिए 10 केंद्रीय एजेंसियों के अधिकार बढ़ा दिए हैं। जांच एजेंसियां अब किसी भी कंप्यूटर में मौजूद डेटा की जांच कर सकेंगी। ये पहली बार है जब कई एजेंसियों को ऐसे अधिकार दिए गए हैं। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने इस बारे में आदेश जारी किए हैं। इसके बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला और इसे निजता के अधिकार पर हमला बताया है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार का यह आदेश मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार भी यह निजता मौलिक अधिकार है। निजता के अधिकार पर यह आदेश चोट पहुंचाता है। इस आदेश से सरकार देश के हर नागरिक की पूरी जानकारी को देखने की अनुमति दे रही है। इससे प्रजातंत्र को भी बड़ा खतरा पैदा हो गया है। हमने ये कहा है कि सरकार की तरफ से एक भारी संख्या में जो सम्मानित लोग हैं, सांसद हैं या बड़े अधिकारी या सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के जज के टेलीफोन भी चेक हो रहे हैं। वहीं समाजवादी पार्टी के राम गोपाल ने कहा कि सरकार का यह आदेश खतरनाक है। यह सरकार पूरी तरह से तानाशाही के रास्ते पर है। विधानसभा चुनाव में हार की वजह से यह आदेश दिया गया है। सीपीएम के सीताराम येचुरी ने कहा कि क्यों हर भारतीय के साथ एक अपराधी की तरह व्यवहार किया जा रहा है। हर नागरिक की जासूसी करने की चाहत रखने वाला ये आदेश असंवैधानिक है और टेलीफ़ोन टैपिंग गाइडलाइंस, निजता के अधिकार पर आदेश और आधार पर आदेश का उल्लंघन है। गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक जांच एजेंसियों को ज़्यादा अधिकार दिए गए हैं। इनमें 10 केन्द्रीय एजेंसियों को ये अधिकार मिले हैं।
- 1ः-डेटा की जांच, फ़ोन टैपिंग कर सकेंगे
- 2ः-पहली बार कंप्यूटर डेटा की जांच का अधिकार
- 3ः-किसी भी कंप्यूटर के डेटा की जांच कर सकेंगे