केवल शादी या निकाह करने से धर्म नहीं बदलता है। जब कि धर्म में आस्था होना जरूरी
राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से धर्म परिर्वतन पर जवाब तलब किया
- कानून रिव्यू/राजस्थान
——————————–राजस्थान हाईकोर्ट ने वसुंधरा राजे सरकार से धर्म परिर्वतन पर जवाब तलब किया है। जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास व जस्टिस मनोज गर्ग की खंडपीठ के समक्ष चिराग सिंघवी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान प्रतापनगर पुलिस द्वारा युवती पायल उर्फ आरिफा को भी कोर्ट के समक्ष पेश किया। महज निकाह के आधार पर क्या धर्म परिवर्तन हो सकता है? इस प्रश्न पर जवाब तय करने के लिए 7 नवंबर को अगली सुनवाई होगी। वहीं युवती को नारी निकेतन भेजने के आदेश दिए गए हैं। प्रताप नगर एसएचओ अचलसिंह ने अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवकुमार व्यास के जरिए कोर्ट को बताया कि निकाहनामा की जांच करवाई गई है वो सही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि कैसे सही है? यह तो प्रथम दृष्टया फर्जी लग रहा है क्योंकि निकाहनामा में जो गवाह हैं और कोर्ट में जो शपथ पत्र दिया है वो अलग अलग हैं ऐसे में यह तो फर्जी लग रहा है! हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल निकाह करने से धर्म परिवर्तन नहीं हो सकता है कल तो कोई भी कह देगा कि मैं मोहम्मद तो यह कैसे संभव है? इसके लिए कोई ना कोई कानून तो होना चाहिए! अतिरिक्त महाधिवक्ता को अगली सुनवाई पर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर सिंघवी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि केवल निकाह के लिए धर्म परिवर्तन नहीं हो सकता है। इसके लिए भी कानून का प्रावधान है। मध्यप्रदेश और उड़ीसा में इसको लेकर कानून बने हुए हैं। उसी तरह राजस्थान में भी कानून होना चाहिए क्योंकि केवल शादी या निकाह करने से धर्म नहीं बदलता है। जब कि धर्म में आस्था होना आवश्यक है। वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नीलकमल बोहरा ने कोर्ट के समक्ष कहा कि 25 अक्टूबर 2017 को लड़की के घर से भाग कर छह माह पहले ही धर्मपरिवर्तन करने व 14 अप्रैल 2017 को मुस्लिम लड़के से विवाह करने के मामले की विश्वसनीयता नहीं है। धर्म परिवर्तन के छह माह बाद तक अपने पिता के घर रही है तो धर्म कैसे बदल गया है? बरहाल इस मामले में आगामी 7 तारीख को सुनवाई होगी तब तक युवती को नारी निकेतन भेजा गया है।