केंद्रीय कानून राज्यमंत्री ने केद्र सरकार को दिया सुझाव
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- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
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कानून बनाने से पहले केंद्र लॉ मिनिस्टरी को बताएगा। मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर लॉ पीपी चौधरी ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कैबिनेट सेक्रेटेरिएट को एक सुझाव भेजा है। अपने नोट में चौधरी ने लिखा है कि अगर केंद्र की मिनिस्ट्रीज कोई नया कानून लाने जा रही हैं तो उन्हें ये बताना होगा कि इससे मुकदमेबाजी तो नहीं बढ़ जाएगी। चौधरी ने कहा कि मिनिस्ट्रीज को इस बारे में भी सोचना होगा कि कोई अमेंडमेंट या नया कानून लाने पर जो विवाद सामने आएं, उनका निपटारा कोर्ट के बाहर ही हो जाएगा।
सुझाव माना गया तो क्या होगा?
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– अगर सरकार ये सुझाव मानती है तो आगे पार्लियामेंट में पेश होने वाले सभी बिल लिटिगेशन असेसमेंट (मुकदमेबाजी के मूल्यांकन) क्लॉज से गुजरना होगा। बिल जिस मिनिस्ट्री से संबंधित है, उसे ये बताना होगा कि कानून बनने के बाद इसमें कोर्ट केस होंगे या नहीं।
ये सुझाव क्यों दिया गया है?
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- – लॉ मिनिस्ट्री के अफसरों के मुताबिक इस सुझाव के पीछे मकसद ये है कि किसी भी कानून को लेकर कोर्ट केस ना किए जाएं।
- – जुलाई के आखिरी हफ्ते में जस्टिस डिपार्टमेंट ने लॉ मिनिस्ट्री में एक मीटिंग की। इस मीटिंग में उन केसेस को कम करने पर विचार किया गया, जिसमें केंद्र सरकार पार्टी है। चौधरी का ये सुझाव इसी मीटिंग का नतीजा है।
- सरकारी विभाग और संस्थाएं कितने केसेस में शामिल?
- – लॉ मिनिस्ट्री के मुताबिक, देश में 3 करोड़ से ज्यादा पेंडिंग केस हैं। इनमें से 46 फीसदी केसेस में सरकारी विभाग या फिर संस्थाएं इन्वॉल्व हैं।
- नरेंद्र मोदी ने क्या स्टेटमेंट दिया है इस बारे में?
- – नरेंद्र मोदी सरकार को बिगेस्ट लिटिगंट (सबसे बड़ी मुकदमेबाज) कहा था और ये भी कहा था कि ज्यूडिशियरी का भार कम किए जाने की जरूरत है, क्योंकि उसका सबसे ज्यादा वक्त ऐसे केसेज में जाता है, जिसमें सरकार पार्टी होती है।
- – मोदी ने दिल्ली हाईकोर्ट के गोल्डन जुबली सेलेब्रेशन के दौरान भी कहा था, अगर सोचसमझकर मुकदमे फाइल किए जाए तो ज्यूडिशियरी का भार कम किया जा सकता है। अगर कोई टीचर नौकरी के मामले में कोर्ट जाता है और जीत जाता है तो ये केस ऐसे पैमाने के तौर पर देखा जाना चाहिए, जिसका फायदा हजारों लोगों को पहुंचे। इससे बाद में इस तरह के केसेज में कमी भी आएगी।