सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस चेलमेश्ववर की राय
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
———————————अयोध्या में राम मंदिर निमार्ण के लिए सरकार कानून बना सकती है। बेशक यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, इससे कोई खास फर्क नही पडता है। यह कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस चेलमेश्वर का। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस चेलमेश्वर ने यह टिप्पणी ऐसी समय की है जब अयोध्या में राम मंदिर निमार्ण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक कानून बनाने की मांग संघ परिवार में बढती जा रही है। कांग्रेस पार्टी से जुड़े संगठन ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस एआईपीसी की ओर से आयोजित एक परिचर्चा सत्र में पूर्व जस्टिस चेलमेरूवर ने यह टिप्पणी की। इस साल की शुरुआत में जस्टिस चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट के के उन चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में शामिल थे जिन्होंने संवाददाता सम्मेलन कर तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कामकाज के तौर.तरीके पर सवाल उठाए थे। परिचर्चा सत्र में जब जस्टिस चेलमेश्वर से पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान क्या संसद राम मंदिर के लिए कानून पारित कर सकती है। इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक पहलू है कि कानूनी तौर पर यह हो सकता है या नहीं? दूसरा यह है कि यह होगा या नहीं। मुझे कुछ ऐसे मामले पता हैं जो पहले हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रिया ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों में अवरोध पैदा किया था। जस्टिस चेलमेश्वर ने कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलटने के लिए कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक कानून पारित करने का उदाहरण दिया। उन्होंने राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा के बीच अंतरराज्यीय जल विवाद से जुड़ी ऐसी ही एक घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश को इन चीजों को लेकर बहुत पहले ही खुला रुख अपनाना चाहिए था। राम मंदिर पर कानून संभव है,क्योंकि हमने इसे उस वक्त नहीं रोका।