दंगों और तोड़फोड़ की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
—————————- कावड यात्रा के दौरान तोड फोड और विरोध प्रदर्शनों में संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की बढती घटनाओं को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि वह कानून में संशोधन के लिए सरकार का इंतजार नहीं करेगा। यह टिप्पणियां उस समय कीं जब अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि देश के किसी न किसी हिस्से में लगभग हर सप्ताह ही दंगे और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
उन्होंने कांवड़ियों से जुड़ी हिंसा की हालिया घटनाओं का जिक्र किया। वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि कांवडिए दिल्ली में कार पलट रहे हैं, जब फिल्म पद्मावत प्रदर्शित हुई तो एक समूह ने प्रमुख अभिनेत्री की नाक काटने की धमकी दे दी, कुछ नहीं हुआ, कोई प्राथमिकी नहीं।
इस संबंध में उन्होंने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन और अनुसूचितजाति,.अनुसूचितजनजाति मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद देश के कई हिस्सों में हुई हिंसा का भी जिक्र किया। पीठ ने शीर्ष विधि अधिकारी से पूछा तो आपका सुझाव क्या है? अटार्नी जनरल ने कहा कि ऐसी घटनाओं के लिए पुलिस अधीक्षक जैसे वरिष्ठ अधिकारियों पर जिम्मेदारी डालनी चाहिए। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि संबंधित डीडीए अधिकारी को उसके क्षेत्र में इस तरह के निर्माण के लिए जवाबदेह ठहराने के फैसले के बाद दिल्ली में अनधिकृत निर्माण रुक गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह के प्रदर्शनों से निपटने के लिए वर्तमान कानून में संशोधन पर विचार कर रही है और उन्होंने अदालतों से उपयुक्तता के आधार पर कानून में बदलाव के लिए विधायिका को अनुमति देने को कहा। पीठ ने कहा कि हम संशोधन के लिए इंतजार नहीं करेंगे। यह गंभीर स्थिति है और यह रुकनी चाहिए।