कानून रिव्यू/ नई दिल्ली
—————————सुप्रीम कोर्ट ने असम में एनआरसी पर आपत्तियां दर्ज कराने की डेडलाइन बढ़ा कर 15 दिसंबर 2018 कर दी है। इसके अलावा, दावों के आधार के रूप में पहले के 10 के अलावा पांच और दस्तावेज़ मान्य किए गए हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट में पारंपरिक पटाखों की बिक्री के लिए व्यापारियों के संघ ने गुहार लगाई है। इसके अलावा कार्ति चिदंबरम की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से करने से साफ इनकार कर दिया है। आइए एक नजर डालते हैं आज की ताजा खबरों पर।
एनआरसी पर आपत्तियां दर्ज कराने की डेडलाइन 15 दिसंबर 2018 तक बढी
सुप्रीम कोर्ट ने असम में एनआरसी पर आपत्तियां दर्ज कराने की डेडलाइन बढ़ाकर 15 दिसंबर कर दी है। इसके अलावा, दावों के आधार के रूप में पहले के 10 के अलावा पांच और दस्तावेज़ मान्य किए गए हैं। एनआरसी की लिस्ट से 40 लाख लोगों का नाम छूट गया था, जिसके बाद उन्हें दोबारा नाम जुड़वाने के लिए कोर्ट ने डेडलाइन दी थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनआरसी की लिस्ट में नाम जुड़वाने के दावों के लिए पांच अन्य दस्तावेजों को मंजूरी दी है.।इन पांच दस्तावेजों में 1951 का एनआरसी, 1996 और 1971 के वोटर लिस्ट, 1971 तक शरणार्थी पंजीकरम सर्टिफिकेट और 1971 तक के राशन कार्ड है।
पारंपरिक पटाखों की बिक्री के लिए व्यापारियों के संघ ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि कम प्रदूषण और कम आवाज वाले पटाखों (ग्रीन क्रैकर्स) के अलावा अन्य किसी भी तरह के पटाखों की बिक्री इस त्योहारी सीजन में नहीं होगी। खुदरा व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली-एनसीआर में पारंपरिक पटाखों की बिक्री पर रोक के अपने आदेश पर फिर से विचार करने का आग्रह किया। कैट ने कहा कि इस फैसले से बड़ी संख्या में लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित होगी। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि पहले से बन चुके पटाखों की बिक्री देश के अन्य हिस्सों में की जा सकेगी। कैट ने बयान में कहा कि पटाखों के कारोबार में जुड़े व्यापारियों और अन्य आश्रितों को सुप्रीम कोर्ट को पर्याप्त समय देना चाहिए। इसमें कहा गया है कि कम प्रदूषण वाले पटाखों की बिक्री अगले साल से लागू होनी चाहिए ताकि निर्माता केवल इसी तरह के पटाखें बनाएं। कैट ने बड़े पैमाने पर लोगों की अजीविका का ध्यान रखते हुए कोर्ट से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है।
कार्ति चिदंबरम की अपील पर सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकार
कांग्रेस नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने विदेश जाने की याचिका पर जल्द सुनवाई से इन्कार कर दिया.है। कीर्ति चिदंबरम की ओर से कहा गया कि अगर उनकी याचिका पर कोर्ट ने जल्द सुनवाई कर अनुमति नहीं दी तो फिर विदेश यात्राएं स्थगित करनी पड़ेंगीं। देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा-लोग विदेश आते-जाते रहते हैं, फिलहाल देश में ही रहिए. यह ऐसा मामला नहीं है, जिस पर कल ही अर्जेंट सुनवाई हो। सीजेआई ने यह भी कहा कि जजों के पास इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण मामले निपटाने के लिए हैं। उन्होंने कहा- लोग विदेश आते-जाते रहते हैं, हमारी चिंता क्या है? दरअसल कार्ति ने तीन नवंबर से 17 नवंबर तक इटली, आस्ट्रिया और यूके और 25 नवंबर से तीन दिसंबर तक यूके जाने की इजाजत के लिए याचिका दाखिल की और इस पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी, मगर मुख्य न्यायाधीश ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इन्कार कर दिया है।