उत्तर प्रदेश में नगरीय परिसर किराएदारी विनियमन अध्यादेश-.2021 को मंजूरी
कानून रिव्यू/उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में नगरीय परिसर किराएदारी विनियमन अध्यादेश-.2021 को मंजूरी दे दी गई है। गजट जारी होते ही किराएदारी कानून लागू हो जाएगा। इसके लागू होते ही मकान मालिक और किराएदार की मनमानी पर रोक लग जाएगी। किराएदार को शर्तों के आधार पर ही रहना होगा और वहीं मकान मालिक आवासीय परिसर का 2 माह और गैर आवासीय परिसर का 6 माह का एडवांस लेगा। इसे धरोहर धनराशि के रूप में रखा जाएगा। राज्य के प्रत्येक जिले में किराया प्राधिकरण और किराया अधिकरण का गठन होगा। किराया प्राधिकरण में एडीएम स्तर का अफसर किराया प्राधिकारी नियुक्त होगा। किराया अधिकरण में जिला जज स्वयं अध्यक्ष होगा या फिर अपर जिला न्यायाधीश को नामित करेगा। मकान मालिक साल में सिर्फ एक बार ही किराया बढ़ा सकेगा। आवासीय पर 5 प्रतिशत और गैर आवासीय परिसर पर 7 प्रतिशत किराया बढ़ाया जा सकेगा। किराया बढ़ाने से पहले मकान मालिक को किराएदार को 1 माह पहले नोटिस देना होगा। मकान मालिक और किराएदार को करार समाप्त होने के 1 माह पहले प्राधिकरण को बताना होगा। मकान मालिक ने अगर अकेले जानकारी दी है और किराएदार ने जानकारी नहीं दी है, तो मकान मालिक किराएदार को बेदखली का आवेदन दे सकेगा। मकान मालिक को संपत्ति प्रबंधन के संबंध में किराएदार से शर्तों पर करार करने की छूट होगी और इसका पालन किराएदार को करना ही होगा। किराएदार को किराए पर रहने के लिए नवीकरण या विस्तार कराने का अधिकार होगा। मकान मालिक से वो इस संबंध में अनुरोध कर सकेगा। मकान मालिक को इसके आधार पर एक नया करार करना होगा। किराएदार किराया नकद, चेक, बैंक ड्राफ्ट, पोस्टल मनी ऑडर से भी दे सकेगा। किराएदार को परिसर को ठीक से रखना होगा। टूट.फूट होने पर उसे मरम्मत कराना होगा। अगर नहीं कराता है तो मकान मालिक कराएगा और एडवांस में जमा राशि से इसे काट लेगा।