हादिया के पति के विरोध के बावजूद 2017 अगस्त में जांच के आदेश दिए गए थे। उस वक्त उनकी शादी को रद्द कर दिया गया था और उन्होंने अपनी शादी की बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उस वक्त केरल सरकार ने भी इस मामले में एनआईए से जांच कराने का विरोध किया था। जिसको दरकिनार करते हुए एनआईए को जांच करने के लिए कहा गया। एनआईए को अंतर धार्मिक विवाह का उद्देश्य और साजिश जैसे बिंदुओं पर जांच करने और रिपोर्ट फाइल करने का आदेश दिया गया।
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
——————————-सुप्रीम कोर्ट ने केरल के ’लव जिहाद’ मामले में एनआईए द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट लौटा दी है। इस मामले पर कम से कम तीन शीर्ष अदालतों ने जांच के आदेश दिए थे, लेकिन खोले बिना ही रिपोर्ट वापस कर दी गई है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने अब आदेश दिया है कि कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, एनआईए से मुहरबंद लिफाफे में लव जिहाद की जांच रिपोर्ट प्राप्त की गई है, जिसमें मामले का निपटारा किया गया है. इस मुहरबंद लिफाफे को वापस एनआईए को भेज दिया जाएगा। यह रिपोर्ट आधिकारिक तौर पर जांच को खत्म करती है. जिसमें केरल हाईकोर्ट ने हादिया के अंतर धार्मिक विवाह को रद्द कर दिया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केरल में हुए अंतर धार्मिक विवाह के कथित ’लव जिहाद’ होने के मामले में छह महीने से अधिक समय तक जांच की थी,. हालांकि हादिया के पति के विरोध के बावजूद 2017 अगस्त में जांच के आदेश दिए गए थे। उस वक्त उनकी शादी को रद्द कर दिया गया था और उन्होंने अपनी शादी की बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उस वक्त केरल सरकार ने भी इस मामले में एनआईए से जांच कराने का विरोध किया था। जिसको दरकिनार करते हुए एनआईए को जांच करने के लिए कहा गया। एनआईए को अंतर धार्मिक विवाह का उद्देश्य और साजिश जैसे बिंदुओं पर जांच करने और रिपोर्ट फाइल करने का आदेश दिया गया। यह आदेश तत्कालीन सीजेआई जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दिया था। अगस्त और दिसंबर 2017 के बीच एनआईए ने इस मामले पर तीन रिपोर्ट सौंपी थी। एनआईए का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कोर्ट को कई बार याद दिलाया कि खंडपीठ को मामले पर संज्ञान लेना चाहिए. क्योंकि उन्हीं के आदेशों पर यह जांच की गई है। उसके बाद खेहर रिटायर हो गए थे और सीजेआई दीपक मिश्रा की पीठ मामले पर अध्यक्षता कर रही थी और जिसने एनआईए की रिपोर्टं को देखने से इंकार कर दिया था। नई खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह के अनुरोधों पर ध्यान नहीं दिया और कार्यवाही के दौरान हर बार रिपोर्ट का उल्लेख किया गया। बेंच द्वारा कभी भी कोई रिपोर्ट खोली नहीं गई। इस मामले पर नई खंडपीठ का नया दृष्टिकोण था और 25 साल की हादिया कोर्ट की कार्रवाई का सामना कर रही थी। आखिरकार, इस साल मार्च में कोर्ट ने हादिया के विवाह को बहाल करते हुए कहा कि वह स्वतंत्र रूप से अपना जीवन जी सकती है। खंडपीठ ने एनआईए की जांच पर कहा कि एजेंसी अपराधिकता के अन्य मामलों की जांच करने के लिए स्वतंत्र थी।. हालांकि मामले की जांच रिपोर्ट मार्च के बाद से कोर्ट के पास लंबित रही.,अभी भी मामले की जांच मुहरबंद लिफाफे में बरकरार है। अब उसे एनआईए को लौटाने का आदेश दिया गया है।