- कानून रिव्यू/गौतमबुद्धनगर
————————— विशेष न्यायधीश गैंगस्टर एक्ट व द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश गौतमबुद्धनगर रामचंद्र यादव ने तीन लोगों को 6-6 वर्ष के कठोर कारावास और 6-6 हजार रूपये अर्थदंड दिए जाने की सजा सुनाई है। न्यायालय ने इन तीनों अभियुक्तों को उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप( निवारण) अधिनियम-1986 की धारा-2/3 के तहत दोषी करार दिया था। इन अभियुक्तों के विरूद्ध फिरौती हेतु अपहरण, पुलिस अभिरक्षा से अभियुक्तों को भगाना तथा अभियुक्तों व अपराधियों को प्रश्रय देने जैसे आरोप थे। इन अभियुक्तों ने अपना एक संगठित गिरोह बना रखा था जो शरीर और संपत्ति के विरूद्ध अपराध कारित करके अवैध रूप से धनोपार्जन करता था। ऐसी सूचना पर मिलने पर इस गिरोह के विरूद्ध थाना फेस-2 कोतवाली पर अभियोग पंजीकृत कर विवेचना की गई।
वाद संख्या 136/08 सरकार बनाम छत्रपाल उर्फ देव उर्फ छुटटन,जितेंद्र उर्फ बबलू पुत्रगण सत्यपाल सिंह निवासीगण ग्राम वैलाना थाना ककोड जिला बुलंदशहर और पवन पुत्र जगरामपाल निवासी ग्राम सैदना खेकडा, थाना सुरसा जिला हरदोई के विरूद्ध उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप( निवारण) अधिनियम-1986 की धारा-2/3 एक आरोप पत्र न्यायालय मे प्रेषित किया गया था। अभियोजन के कथानुसार अभियुक्तगण अपने गैंग के साथियों के साथ मिल कर भौतिक एवं आर्थिक लाभ के लिए भारतीय दंड संहिता के अध्याय 16,17 और 22 में अपराध करने में सक्रिय रहे तथा साथ ही चोरी जैसे जघन्य अपराध किए जाने में संलप्ति पाए जाने के आरोप रहे।
अभियोजन पक्ष यानी राज्य सरकार की ओर से इस मामले की पैरवी करते हुए ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी ललित मुद्दगल ने दलील देते हुए कहा कि उक्त गैंग का कृत्य समाज विरोधी है क्रियाकलाप है और जो अधिनियम-1986 की धारा 2(1)3 गैंगस्टर का अपराध है। इस गैंग का जनता में स्वच्छन्द रहना जनहित में नही है तथा उसकी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जाना जरूरी है। यही नहीं गैंग के चार्ट के अनुमोदन के पश्चात ही अभियोग पंजीकृत किया गया है।
विशेष न्यायधीश गैंगस्टर एक्ट व द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश गौतमबुद्धनगर रामचंद्र यादव ने इस मामले में उभय पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद तीनों अभियुक्तों का दोषी करार दिया और फैसला सुनाया है कि तीन अभियुक्तों को उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप( निवारण) अधिनियम-1986 के तहत 6-6 वर्ष के कठोर करावास और 6-6 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित किया जाता है। न्यायालय ने यह भी प्रावधान किया है कि यदि अभियुक्तों की ओर अर्थदंड की राशि अदा नही गई तो 6-6 माह के अतिरिक्त करावास की सजा भी भोगनी पडेगी।