रेप की कोशिश और हत्या के मामले में 22 दिन में आया फैसला
कोर्ट ने कहा कि आरोपी को फांसी से कम की सजा देने का सवाल ही नहीं उठता है। आरोपी न तो मानसिक रूप से बीमार है और न ही उसे ऐसी कोई परेशानी थी जिसने उसे इस जघन्य अपराध को करने के लिए प्रेरित किया हो। आरोपी का कोई आपराधिक बैकग्राउंड भी नहीं है और इसके बावजूद उसने ऐसा जघन्य अपराध किया और अगर उसे कठोर सजा नहीं दी गई तो समाज खतरे में आ जाएगा। इसलिए मेरे विचार में कम सजा तो दी ही नहीं जा सकती। मेरे विचार में इस तरह के अपराध के लिए सजा-.ए-मौत ही एकमात्र सजा है।
कानून रिव्यू/कर्नाटक
————————-जिस तरह से समाज में नैतिकता का पतन होता जा रहा है और अपराध बढ रहा है। उसी प्रकार अब कानून ने भी तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। कर्नाटक की एक कोर्ट ने 22 दिनों के अंदर रेप की कोशश के मामले में सजा सुनाकर मिसाल पेश की है। जी हां, कोर्ट ने 15 साल की बच्ची से रेप की कोशिश करने के दोषी एक कुली को मौत की सजा सुनाई है। जजमेंट की कॉपी भी हाल ही में 15 सितंबर को पर अपलोड कर दी गई है।कोलार के सेकंड एडिशनल सेशन जज कोर्ट ने रेप की कोशिश के दोषी टीएन सुरेश बाबू को सजा सुनाई है। खास बात यह है कि जज बीएस रेखा ने 22 दिनों में फैसला सुनाया। पुलिस ने कर्नाटक के कोलार जिले के मलूर इलाके से आरोपी को 3 अगस्त को गिरफ्तार किया था। लड़की की लाश 1 अगस्त को रेलवे ब्रिज के नीचे बरामद हुई थी। गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर कोर्ट ने बाबू को दोषी करार दिया। इस मामले में फैसला सुनाते हुए जज बीएस रेखा ने कहा कि मेरे विचार में अभियोजन पक्ष और जांच अधिकारियों ने कोई कमी नहीं छोड़ी है, इस मामले में यह साबित होता है कि रेप की कोशिश पूरी तरह से पूर्व नियोजित और सोच.समझकर की गई थी। यह जघन्यतम अपराध है और कोर्ट इसे बेहद गंभीरता से लेता है ताकि दूसरा कोई इस तरह का काम करने से पहले जरूर सोचे। इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि आरोपी को फांसी से कम की सजा देने का सवाल ही नहीं उठता है। आरोपी न तो मानसिक रूप से बीमार है और न ही उसे ऐसी कोई परेशानी थी जिसने उसे इस जघन्य अपराध को करने के लिए प्रेरित किया हो। आरोपी का कोई आपराधिक बैकग्राउंड भी नहीं है और इसके बावजूद उसने ऐसा जघन्य अपराध किया और अगर उसे कठोर सजा नहीं दी गई तो समाज खतरे में आ जाएगा। इसलिए मेरे विचार में कम सजा तो दी ही नहीं जा सकती। मेरे विचार में इस तरह के अपराध के लिए सजा-.ए-मौत ही एकमात्र सजा है। जज ने फैसला सुनाते वक्त निर्भया केस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह मामला किसी भी तरह से निर्भया केस से कम अमानवीय नहीं है। उन्होंने कहा कि पीड़ति 10वीं की छात्रा थी और सुनहरा भविष्य उसका इंतजार कर रहा था। लेकिन सेक्स की खातिर दिनदहाड़े उसकी हत्या कर दी गई। जज ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस मामले में आरोपी को कठोर सजा देनी ही होगी ताकि भविष्य में इस तरह के अपराध को अंजाम देने वालों का बचाव न हो सके। उन्होंने कहा किए अगर आरोपी को कम सजा दी गई तो दूसरों को सबक नहीं मिलेगा। इस मामले में लड़की निर्दोष थी और असहाय थी। वह जिंदगी के लिए लड़ती रही, लेकिन उसकी जिंदगी आरोपी के हाथों आधे घंटे के भीतर खत्म हो गई। अगर सही सजा नहीं दी गई तो लोगों की जिंदगी खतरे में आए जाएगी। गौरतलब है कि दोषी टीएन सुरेश ने पीड़ति के घर के पास उससे छेड़छाड़ की थी। तब लड़की के पिता ने उसे खूब सुनाया था। इस बात से नाराज टीएन सुरेश ने लड़की का रेप कर उसकी हत्या की साजिश रच डाली। इस साजिश के तहत 1 अगस्त को जब पीड़ति लड़की इंटर स्कूल स्पोर्ट्स से अपनी सहेली के साथ लौट रही थी तो दोषी ने उसे पीछे से पकड़ लिया। जब लड़की ने चिल्लाने की कोशिश की तो उसने उसका मुंह पकड़ लिया। लड़की की दोस्त घबराकर वहां से भाग गई। पीड़ति लड़की भागने की कोशिश कर रही थी तो दोषी ने उसका पीछा किया और जबरदस्ती उसे खींचकर ले गया। रेप की कोशिश के दौरान लड़की के विरोध करने पर उसने उसकी बाईं आंख में मुक्का मार दिया। यही नहीं उसने लड़की के सिर पर पत्थर से कई वार किए। इस हमले में लड़की को गंभीर चोटें आईं और उसकी मौत हो गई। इतना ही नहीं दोषी पीडित लड़की को खींचकर झाडियों में ले गया और उसके कपड़े उतारकर रेप की कोशिश कर रहा था।् तभी किसी को आता देख वो वहां से भाग खड़ा हुआ।