कनार्टक हाईकोर्ट ने माना कि आरोपी व्यक्ति को बहन की बेटी से बलात्कार और हत्या का दोषी पाया था और उसे मौत की सज़ा दी थी। किंतु अभी भी उसमें सुधार की गुंजाइश है और वह कोई पेशेवर हत्यारा नहीं है और उसका कोई आपराधिक रेकर्ड नहीं रहा है। साथ ही वह बालिग़ है और उसका परिवार है और उसके सुधारने की गुंजाइश अभी ख़त्म नहीं हुई है।
कानून रिव्यू/कर्नाटक
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति की मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया है, जिस पर 8 साल की एक लड़की से बलात्कार और उसकी हत्या का आरोप है। हाईकोर्ट ने आरोपी की सज़ा को सश्रम कारावास में बदल दिया और कारावास की न्यूनतम अवधि 25 साल कर दी है। निचली अदालत ने इस आरोपी को अपनी बहन की बेटी से बलात्कार और हत्या का दोषी पाया था और उसे मौत की सज़ा दी थी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले को सही ठहराया था पर यह कहा था कि आरोपी में अभी भी सुधार की गुंजाइश है और आरोपी कोई पेशेवर हत्यारा नहीं है और उसका कोई आपराधिक रेकर्ड नहीं रहा है। आरोपी बालिग़ है और उसका परिवार है और उसके सुधारने की गुंजाइश अभी ख़त्म नहीं हुई है। न्यायमूर्ति रवि मलिमथ और एचपी संदेश की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। पीठ ने आरोपी को धारा 302 के तहत बिना किसी विराम के न्यूनतम 25 साल का सश्रम कारावास झेलने और एक लाख रुपए का हर्ज़ाना भी चुकाने को कहा है। अदालत ने आदेश दिया है कि आरोपी आईपीसी की धारा 376 के तहत 10 साल तक सश्रम कारावास की सज़ा काटेगा और 10 हज़ार का जुर्माना भरेगा।