प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने भेजा अवमानना का नोटिस
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
————————–सुप्रीम कोर्ट कहा है कि आजादी के साथ जिम्मेदारी भी आती है, लेकिन जब बार ही न्यायपालिका को खत्म करने पर उतर जाए तो, ऐसा ही लग रहा है न्यायपालिका का बचाव बाहर से किया जाना चाहिए, न कि अंदर से। ऐसा लग रहा है जैसे कुछ वकील न्याय पालिका को खत्म करने के लिए खंजर लेकर घूम रहे हैं। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए की है। सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को अवमानना का नोटिस भेजा है। प्रशांत भूषण ने नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाए जाने के खिलाफ ट्वीट किया है। अपने ट्वीट्स में उन्होंने कोर्ट में जारी सुनवाई पर टिप्पणी की थी। यह नोटिस केंद्र सरकार और एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की तरफ से दायर की गई याचिकाओं के बाद भेजा गया है। प्रशांत भूषण ने यह नोटिस स्वीकार कर लिया है और जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का वक्त मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 7 मार्च को होगी। इस मामले में एजी और केंद्र सरकार दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में अलग.अलग याचिका लगाई थी। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि भूषण गलत बयानी कर रहे हैं और न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अपनी याचिका में एटॉर्नी जनरल ने कहा कि भूषण उनके मित्र हैं और वह उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं। जबकि केंद्र सरकार ने भूषण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट में लंबित मामलों पर मीडिया में रोज कोई न कोई बयान दिया जा रहा है,जो कि सही नही है।