


यूपी से लेकर बिहार तक गंगा नदी में शव दिखाई देने पर पैरो तले से जमीन निकली

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और दोनों राज्यों को नोटिस जारी किया

मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली
———————————————-कोरोनाकाल में मानव ¬त्रासदी की ऐसी तस्वीर देखने को मिली कि जीवनदायनी माने जाने वाली पवित्र गंगा नदी में तैरते हुए शव पाए गए। लापरवाही चाहे प्रशासनिक अफसरों की रही हों मगर इस सब के लिए सरकारों को ही कटघरे में खडा किया ठीक होगा। लोगों को इलाज नही मिला और जब उन्हें मौत ने गले लगा लिया तो उन्हें परंपरानुसार अंतिम संस्कार नसीब नही हुआ और इतनी बेहुरमती हुई कि शव नदी के किनारों के पर तैरते हुए पाए गए। क्या ऐसा नही माना जाना चाहिए कि जो भी इस सबके लिए जिम्मेदार रहे हैं उनकी मानवीय संवदेना मानो मर गई है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली ने इस मामले का संज्ञान लिया और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और दोनों राज्यों को नोटिस जारी किया गया है। इसमें चार सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा गया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रशासनिक अधिकारी जनता को जागरूक करने और गंगा नदी में अधजली या बिना जली लाशों को बहाने से रोकने में असफल हुए हैं। इन शवों को पवित्र गंगा नदी में प्रवाहित करना स्पष्ट रूप से जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।’ गंगा नदी (कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश, 2016, जो गंगा नदी में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उपशमन के उपायों से संबंधित है, में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी परियोजना या प्रक्रिया या गतिविधि को नहीं करेगा जो गंगा नदी में प्रदूषण का कारण हो। ये नोटिस एक शिकायत के आधार पर जारी किए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि बरामद शव कोविड-19 से संक्रमित थे। शिकायत में कहा गया है, ’इसलिए, इस तरह से शवों का निपटान उन सभी व्यक्तियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जो अपने दिन की गतिविधियों के लिए पवित्र नदी पर निर्भर हैं।’ नोटिस में आगे कहा गया है कि अगर ये मृत शरीर कोविड पीड़ितों के नहीं थे, तो भी इस तरह की प्रथाएं/घटनाएं समाज के लिए शर्मनाक हैं, क्योंकि ये मृतक व्यक्तियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन भी हैं। शिकायतकर्ता ने लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए आयोग के हस्तक्षेप का अनुरोध किया है, जो ऐसी घटनाओं को रोकने में विफल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका भी दायर की गई है, जिसमें मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक नीति तैयार करने और अंतिम संस्कार और एम्बुलेंस सेवाएं के लिए लिए जा रहे अधिक शुल्क को नियंत्रित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। दिल्ली.एनसीआर स्थित एनजीओ ट्रस्ट, डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव की याचिका में मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक विशिष्ट कानून बनाने और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अंतिम संस्कार और एम्बुलेंस के लिए दरें निर्धारित करने के लिए दिशा निर्देश जारी करने की सख्त आवश्यकता पर जोर दिया गया है, साथ.साथ गैर.अनुपालन पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करने की मांग की गई है। शमशान और एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं की ओर से लिए जा रहे ज्यादा पैसे के मुद्दे पर याचिका में कहा गया है कि ये दो मुद्दे सीधे गंगा नदी में शवों के फेंके जाने की खबर से जुड़े हैं, क्योंकि अत्यधिक मात्रा में चार्ज किए जाने के कारण, लोग शवों को गंगा नदी में डाल रहे हैं। याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसने दिल्ली में शमशान और एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं द्वारा अधिक शुल्क लेने का मुद्दा दिल्ली हाईकोर्ट ;डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव बनाम दिल्ली सरकार के समक्ष उठाया था, जहां 6 मई 2021 को दिए आदेश में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संबंधित नगर निगमों को तरजीही प्रतिनिधित्व की स्वतंत्रता दी थी। याचिकाकर्ता के अनुसार 11 मई को जब सभी चार नगर निगमों को उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देकर अभ्यावेदन दिया गया तो उन्हें न तो स्वीकार किया गया और न ही जवाब दिया गया, जिससे याचिकाकर्ता के विश्वास की पुष्टि होती है कि ओवरचार्जिंग को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि गंगा नदी में तैरते शवों के मुद्दे ने वैश्विक मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है, यह आवश्यक है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय केंद्र को इस मुद्दे की गंभीरता पर विचार करने और मृतकों की गरिमा सुनिश्चित करने वाला कानून बनाने का निर्देश दे। याचिकाकर्ता ने परमानंद कटारा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और आश्रय अधिकार अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है, जहां मृतकों को सम्मान देने और सम्मान देने के महत्व पर प्रकाश डाला गया था। वर्तमान याचिका एडवोकेट जोस अब्राहम ने दायर की है और एडवोकेट रॉबिन राजू, ब्लेसन मैथ्यूज और दीपा जोसेफ ने तैयार किया है। एनजीओ ने अपनी याचिका में निम्नलिखित राहत मांगी है उत्तरदाताओं को एक ऐसी नीति तैयार करने पर विचार करने के लिए निर्देशित करें जो मृतकों के अधिकारों की रक्षा करे। उत्तरदाताओं को निर्देश दें कि वे सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा.निर्देश तैयार करने की सलाह दें कि कोविड-.19 मृतकों के दाह संस्कार/दफन के शुल्क को नियंत्रित किया जाए। उत्तरदाताओं को निर्देश दें कि वे सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को ऐसे दिशानिर्देश तैयार करने की सलाह दें कि एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं के शुल्क को नियंत्रित किया जाए।
यूपी से लेकर बिहार के बक्सर और भोजपुर जिले में गंगा नदी में शव दिखाई देने से हडकंप

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यूपी के गाजीपुर से लेकर बिहार के बक्सर के बाद भोजपुर जिले में भी गंगा नदी में चार.पांच शव दिखे तो आम जन से लेकर शासन.प्रशासन तक में हड़कंप मच गया। बड़हरा प्रखंड के सिन्हा गंगा नदी घाट पर शवों के तैरने की सूचना जब प्रशासन के कानों तक पहुंची तो अफसरों के होश उड़ गए। आनन.फानन में प्रशासन व पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम सिन्हा घाट पर मेडिकल टीम के साथ पहुंच गई। गंगा नदी में दो नावों को उतारा गया और शवों की खोजबीन शुरू कर दी गई। कुछ देर की तलाशी के बाद तीन शवों को नदी से निकाला गया, जिनमें एक महिला व दो पुरुष के शव थे। तीनों शवों को बाहर निकालने के बाद मेडिकल टीम ने परीक्षण किया। शवों का पोस्टमार्टम नहीं होने की हालत में उसका बिसरा सुरक्षित रख लिया गया। इसके बाद जेसीबी से गड्ढा खोदकर तीनों शवों को दफन कर दिया गया। अन्य शवों की तलाश के लिए क्षेत्र में नाव से लगातार पेट्रोलिंग की गई। स्वास्थ्य विभाग की टीम भी स्थल पर उपस्थित रही ताकि सारी सावधानियां बरतते हुए नदी से मिलने वाले शवों का डिस्पोजल कराया जा सके। वीडियो से सामने आया शव तैरने का सच। जिले के बड़हरा थाना क्षेत्र के सिन्हा घाट पर गंगा नदी के किनारे लगे शवों को बांस के सहारे बीच धार में बहाने का वीडियो सामने आया। तभी यह सच उजागर हुआ। जानकारी के अनुसार अक्षय तृतीया के अवसर पर गंगा स्नान करने व बाल मुंडन संस्कार के लिए सिन्हा गंगा नदी के घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी थी। इसी क्रम में गंगा के किनारे चार.पांच शवों को लोगों ने देखा। शव देखते ही वहां मौजूद लोगों में हड़कंप मच गया। इसकी सूचना पुलिस को दी गई। कुछ देर बाद एक नाव में नाविक के अलावा एक व्यक्ति बांस लेकर पहुंचा। वह किनारे लगे शवों को बीच धारा में बहाने की कोशिश में जुट गया। इस दौरान एक.दो पुलिसकर्मी भी घाट पर मौजूद थे। इस बीच इसका वीडियो बना लिया गया। वीडियो डीएम के पास भी पहुंचा, जिसके बाद प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हुई। डीएम को हुई जानकारी तो दल.बल के साथ अफसरों को किया रवाना। सिन्हा घाट पर गंगा नदी में चार.पांच शवों का वीडियो देख डीएम रोशन कुशवाहा को पूरे मामले की जानकारी हुई, तो उन्होंने दल.बल के साथ अफसरों को रवाना कर दिया। शुरू में तो अधिकारियों ने घाट पर भीड़.भाड़ व शव होने से इनकार किया लेकिन बाद में गंगा में शवों को ढ़ूंढा जाने लगा तो एक.एक कर शव मिलते ही चले गए। सघन जांच के लिए गंगा नदी में उस पूरे क्षेत्र में दो नावों से शवों की खोजबीन की जाने लगी। जब नदी में चारों तरफ घंटों खोजबीन की गई तो आखिरकार शवों के नदी में तैरने का सच सामने आ ही गया। एक के बाद एक कर तीन शवों को नाविकों ने नदी से निकाला। अधिक दिनों से पानी के अंदर रहने के कारण पानी से बरामद तीनों शव काफी फूल चुके थे। साथ ही शवों को जलाए जाने का कोई निशान नहीं मिला। इससे साफ जाहिर हुआ कि इन्हें बिना जलाये ही प्रवाहित किया गया है। वहीं कोरोना से मौत के बाद शवों को गंगा में बहाए जाने की चौतरफा चर्चा रही। हालांकि इसकी पुष्टि कहीं से नहीं की गई है। चर्चा के अनुसार मौत के बाद शवों को पीछे के किसी इलाके से बहा दिया गया जो पानी में बहते हुए जिले के बड़हरा थाना क्षेत्र के सिन्हा घाट पर पहुंच गए। पूरे क्षेत्र में शवों के मिलने से दहशत व्याप्त हो गई। लोगों के बीच कोरोना से मौत की चर्चा आम रही। भोजपुर के डीएम रोशन कुशवाहा ने कहा आम लोगों से अपील है कि गंगा या नदी घाटों में यदि कोई शव मिलता है तो इसकी सूचना तुरंत संबंधित थानाध्यक्ष व सीओ को दिया जाए। जिला नियंत्रण कक्ष के दूरभाष पर भी मोबाइल से सूचित कर सकते हैं।