दिल्ली हाईकोर्ट ने विधि आयोग को दिया निर्देश
- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
………………………………. गलत अभियोजन एवं गलत तरीके से जेल की सजा पाए पीड़ितों के पुनर्वास के लिए तुंरत कानून सम्मत एक खाका तैयार करने की जरूरत है। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने टिप्पणी की कि वर्तमान में देश में ऐसी कोई संवैधानिक या वैधानिक योजना नहीं है जो गलत तरीके से जेल की सजा पाए लोगों की क्षतिपूर्ति कर सके।
दिल्ली हाईकोर्ट ने विधि आयोग को निर्देश दिया कि वह इस मुद्दे की विस्तार से जांच करे और केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें दे। पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान कई साल जेल की सजा काट चुके कैदियों को बरी किया है। इसने कहा कि ऐसी घटनाएं यदा.कदा नहीं होती हैं और वर्षों जेल में अपने जीवन के बेहतरीन साल बिता चुके ऐसे व्यक्ति समाज में स्वीकारे जाने की बगैर किसी उम्मीद के साथ जेल से बाहर आते हैं।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि गलत तरीके से जेल की सजा पाए ऐसे लोगों की क्षतिपूर्ति के लिए फिलहाल हमारे देश में कोई संवैधानिक या वैधानिक योजना नहीं है। इसलिए इस तरह के पीड़ितों के राहत एवं पुनर्वास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तत्काल एक वैधानिक खाका तैयार करने की आवश्यकता है। गलत तरीके से जेल की सजा पाए व्यक्तियों की क्षतिपूर्ति के मुद्दे की पड़ताल के लिए एलएलयू दिल्ली से अपराध विज्ञान एवं आपराधिक न्याय के प्रोफेसर को न्यायमित्र नियुक्त किया था, जिनकी रिपोर्ट के बाद अदालत ने यह टिप्पणी की है।