कानून रिव्यू/नई दिल्ली
गृह मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया का प्रयोग करने के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट पॉलिसी के तहत चेतावनी दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि कर्मचारी अपने ऑफिस के कम्प्यूटर, लैपटॉप मोबाइल या किसी अन्य डिवाइस पर फेसबुकए वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का यूज नहीं करेंगे। केंद्र सरकार की तरफ से इस कदम को साइबर अपराध और डाटा सुरक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार गृहमंत्रालय की तरफ से 24 पन्नों के एक नोट में कहा गया है कि सभी कर्मचारी जिनमें कॉन्ट्रेक्ट कर्मी, कंसल्टेंट, पार्टनर, थर्ड पार्टी स्टाफ, जो इंफोर्मेशन सिस्टम को ऑपरेट और सपोर्ट करते है, कम्यूनिकेशन नेटवर्क से जुड़े हैं, किसी भी आधिकारिक सूचना को सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट पर सार्वजनिक नहीं करेंगे। जब तक उन्हें सरकार की तरफ से ऐसा करने के लिए नहीं कहा जाता है। मंत्रालय का साइबर एंड इंफोर्मेशन डिविजन साइबर क्राइम से जुड़े मामले देखता है। एक अधिकारी ने बताया कि सरकारी बेवसाइट्स को हैक करने और उनसे सूचनाएं चुराने के लिए विदेशी संगठनों की तरफ से हर दिन कम से कम 30 प्रयास किए जाते हैं। मंत्रालय की तरफ यह भी कहा गया है कि किसी भी तरह की गोपनीय सूचनाओं को प्राइवेट क्लाउड सर्विस पर ;गूगल ड्राइवए ड्ऱॉपबॉक्स, आईक्लाउड आदि पर सेव नहीं किया जा सकता है। डाटा लीक होने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति पर जुर्माना लगाया जा सकता है। नीति आयोग की एक स्टडी के अनुसार साल 2020 तक देश में 73 करोड़ लोग इंटरनेट का प्रयोग कर रहे होंगे। इनमें से 75 फीसदी यूजर नए और ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े होंगे।