कानून रिव्यू/ग्रेटर नोएडा
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गौतबुद्धनगर जिले से अब 50 युवक उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा बन गए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस में 2011 में दारोगा की भर्ती निकली थी जिसमे जिले से 50 युवा परीक्षा उत्तीर्ण कर ट्रेनिंग कर रहे थे। इस बीच भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। लंबे कानूनी दांव पेंच के बाद अब उनकी नियुक्ति उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा के पद पर हो गई है। जिले के लगभग सभी प्रशिक्षुओ की ट्रेनिंग मेरठ के पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय मेरठ में हुई। उन्हें यह नियुक्ति मेरठ में हुई दीक्षांत परेड के बाद मिली। ,इस कार्यक्रम में डीजी ट्रेनिंग ने हिस्सा लिया। वे बतौर मुख्य अतिथि परेड में मौजूद रहे। उन्होंने नव नियुक्त दरोगाओं को कर्तव्य पालन की शपथ दिलाई।
गौतमबुद्धनगर से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में युवा प्रदेश पुलिस के दरोगा भर्ती में नियुक्त हुए है। बताते चले यह भर्ती मायावती के शासन काल में 2011 में शुरू हुई थी। उसके बाद इन्हें नियुक्ति मिलने में 3 सरकार का समय लग गया। इनका प्रशिक्षण मेरठ में चल रहा था। इसी दौरान माननीय उच्च न्यायालय ने इनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद प्रशिक्षु दरोगाओं को वापस घर आना पड़ा था। उक्त आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाल ही में उत्तर प्रदेश में नियुक्ति की राह देख रहे साढ़े 3 हजार दरोगाओं को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वो दस दिन में इन दरोगाओं को ट्रेनिंग पर भेज कर ट्रेनिंग पूरी कराए और फिर उनकी नियुक्तियां करे। सुप्रीम कोर्ट के अनुपालन में सभी 3533 दरोगाओं को नियुक्ति दे दी गई है। जिनमे से 50 प्रशिक्षु गौतमबुद्धनगर जिले से है।
कुड़ीखेड़ा गांव निवासी योगेश नागर की नियुक्ति उपनिरीक्षक के पद पर हुई है। नागर ने बताया कि हमें नियुक्ति पाने में 7 साल का समय लग गया। भर्ती के वक्त काफी लड़के दूसरी नौकरी छोड़ -छोड़ कर इस सेवा में आए थे। इस पर रोक लगने से हमारे सामने अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया था। नियुक्ति पर रोक लगने से कई लड़को की तो शादियां तक टूट गयी थी। बताते चले योगेश नागर इस विभाग में आने से पूर्व जिला बार गौतमबुद्धनगर में वकालत किया करते थे। उन्हें ट्रेनिंग में जाने के बाद वकालत छोड़ दी थी। उन्होंने अदालत के फैसले को सत्य की जीत बताया। वही दूसरे युवक गांव मायचा निवासी यशपाल भाटी ने बातचीत में बताया कि हमारा प्रशिक्षण पुलिस प्रशिक्षण विद्यायल मेरठ में संपन्न हुआ। हाईकोर्ट के आदेश से हमारी नियुक्ति पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद हमने काफी मानसिक सामाजिक और आर्थिक नुकसान झेला है। लोग कहते थे की हमारी नौकरी अब हमें वापस नहीं मिलेगी। लेकिन हमें अपनी न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था। अंत में हमारी जीत हुई और हमें हमारी नियुक्ति मिल गई। यह हमारे लिए बेहद खुशी का पल है।
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