एल्डर्स कमेटी ने किया सदस्यता शुल्क जमा कराने का ऐलान
बार सचिव खेमे नें संवैधानिक संकट से निपटने के लिए शुरू की तैयारी
- मौहम्मद इल्यास-’दनकौरी’/कानून रिव्यू
—————————————-–गौतमबुद्धनगर दीवानी एवं फौजदारी एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन भाटी एडवोकेट ने कोर्ट के आदेश पर इस्तीफा दे दिया है। बार अध्यक्ष द्वारा इस्तीफा दे दिए जाने से कार्यकारणी की शक्ति, एल्डर्स कमेटी ने अपने हाथ में ले ली है। एल्डर्स कमेटी ने ऐलान किया है कि आगामी 31 अक्टूबर 2017 से बार के सभी सदस्य शुल्क जमा कर रसीद प्राप्त कर लें ताकि चुनाव की तैयारियां शुरू की जा सकें। उधर बार सचिव का खेमा एल्डर्स कमेटी के इस कदम से सकते में आ गया है कि कार्यकाल पूरे होने में अभी 2 माह से भी अधिक का समय बाकी है और इस तरह एक चुनी हुई कार्यकारणी की शक्ति छीन कर चुनाव की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक विपिन भाटी एडवोकेट का कार्यकाल गत 22 दिसंबर 2016 से शुरू हुआ था। किंतु दूसरे माह यानी जनवरी 2017 में बार अध्यक्ष विपिन भाटी को अदालत की अवमानना का सामना करना पड गया। गत सप्ताह हाईकोर्ट ने बार अध्यक्ष पर अवमानना के मामले को खत्म कर दिया। किंतु हाईकोर्ट ने साथ ही यह भी शर्त जोड दी कि बार अध्यक्ष अविलंब एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दें और किसी भी तरह की चुनाव की गतिविधियों में भाग न लें। बार अध्यक्ष ने कोर्ट के आदेशो का पालन करते हुए अपना इस्तीफा दे दिया। बार सचिव इस बात की तैयारी कर रहे थे कि अब उपाध्यक्ष विरेंद्र पंडित को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। किंतु जब यह खबर आई कि उपाध्यक्ष को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाने के बजाय एल्डर्स कमेटी पावर में आ गई है उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। बार अध्यक्ष द्वारा इस्तीफे का घटनाक्रम गत दिनांक 28-10-2017 को हुआ। दिनांक 27-10-2017 को बार अध्यक्ष विपिन भाटी ने सूचित किया कि बार एसोसिएशन के सभी सदस्य दिनांक 30-10-2017 तक अपना वार्षिक सदस्यता शुल्क जमा करा कर रसीद कोषाध्यक्ष हरदीप शर्मा एडवोकेट से प्राप्त कर लें। इसी दिन 27 अक्टूबर 2017 को 12 बजे एक बैठक आहूत की गई जिसमें एल्डर्स कमेटी की घोषणा की गई। पूर्व नमित कुछ एल्डर्स कमेटी के सदस्यों ने अपरिहार्य कारणों से इस्ताफी दे दिया था जिनके स्थान पर जगदीश भाटी को मनोनीत किया गया। दूसरे दिन 28-10-2017 को जगदीश भाटी एडवोकेट ने एल्डर्स कमेटी चेयरमैन की हैसियत से सूचना प्रेषित की कि एल्डर्स कमेटी की बैठक में सर्वसम्मति से निणर्य लिया गया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट बैंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति के अहवान पर सभी सम्मानित अधिवक्तागण पूर्ण दिवस न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। बार सचिव खेमा चाहता है कि कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में उपाध्यक्ष विरेंद्र पंडित को बनाया जाए। किंतु बार सचिव और एल्डर्स कमेटी के आमने सामने आ जाने से एक तरह से संवैधनिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है। बार एसोसिएशन का कार्यकाल 22 दिसंबर 2017 तक है और चुनाव दिसंबर 2017 माह में कराए जाने तय है। इसलिए बार अध्यक्ष और सचिव पद के दावेदारों ने दौड धुप शुरू कर दी है। बार अध्यक्ष के लिए अभी तक राजकुमार नागर, राजीव तौंगड, संजीव वर्मा, जगतपाल भाटी,सतपाल प्रधान ने जनसंपर्क शुरू कर दिया है। इनमें राजकुमार नागर पूर्व में भी चुनाव लड चुके हैं। वहीं संजीव वर्मा पूर्व में बार सचिव रह चुके हैं जब कि अन्य दावेदारों की भी मजबूत पकड है।
एल्डर्स कमेटी द्वारा चुनी हुई कार्यकारणी भंग करना असंवैधानिक
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पूर्व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रामशरण नागर एडवोकेट ने सवाल के जवाब में कानून रिव्यू को बताया कि एक चुनी हुई कार्यकारणी को बिना वजह भंग करना अथवा कार्यभार छीन लेना पूरी तरह से असंवैधानिक है। बार अध्यक्ष को अपरिहार्य कारणों से इस्तीफा देना पडा तो शेष कार्यकाल उपाध्यक्ष, एक कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप पूरा करता है। जब कि बार कार्यकारणी का कार्यकाल पूरे होने में अभी 2 माह से भी अधिक समय शेष है। ऐसा परिस्थिति में एल्डर्स कमेटी का कोई औचित्य नही बनता है, एल्डर्स कमेटी कार्यकाल समाप्त होने से ऐन पहले ही पावर में आती है।
एल्डर्स कमेटी ने चुनाव की तैयारी शुरू की
एल्डर्स कमेटी के चेयरमैन जगदीश भाटी एडवोकेट ने बताया कि बार अध्यक्ष द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद एल्डर्स कमेटी पावर में आ गई है। एल्डर्स कमेटी ने ऐलान कर दिया है कि 31 अक्टूबर 2017 से सभी सम्मानित सदस्य अपना वार्षिक सदस्यता शुल्क जमा कर रसीद प्राप्त कर लें ताकि नई मातादाता सूची तैयार की जा सके। अभी इस मतदाता सूची में कुल 1407 सदस्य है नई सूची में कुछ घट बढ सकते हैं। बार कार्यकारणी का कार्यकाल 22 दिसंबर को पूरा होता है। इसलिए चुनाव अपने तय समय 5 दिसंबर से 22 दिसंबर 2017 के बीच संपन्न करा दिए जाएंगे।
कोर्ट के आदेश का अध्यन्न कर आगे की रणनीति तय करेंगे
- ———–बार सचिव देवेंद्र राहुल ने कानून रिव्यू को बताया कि बार अध्यक्ष द्वारा कोर्ट के आदेश पर इस्तीफा दिए जाने की खबर उन्हें भी मिली है। किंतु एल्उर्स कमेटी के मनोनयन अथवा इस्तीफे के लिए जो बैठक बुलाई गई न तो वह उसमें मौजूद थे, जब कि कार्यकारणी की किसी भी तरह की बैठक अध्यक्ष के कहने पर सचिव को बुलाने का अधिकार है। अब यह एल्डर्स कमेटी अचानक कैसे प्रभाव में आ गई और कैसे कोर्ट के आदेश पर बार अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया यह सब आश्चर्यचकित करने वाला विषय है। सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश की कापी उन्हें नही मिली है, अध्यन्न कर आगे की रणनीति तय करेंगे, अध्यक्ष का पद खाली होने के बाद तो उपाध्यक्ष ही प्रभारी होता है।