पुलिस कमिश्नरी प्रणाली के 6 माह होने के बाद पुलिस कमिश्नरेट की ओर से रिपोर्ट जारी की गई
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर
यूपी के गौतमबुद्धनगर और लखनउ में 6 माह पूर्व पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू की गई थी। इन 6 महीनों के दौरान में यह देखने में आए कि पुलिस ने अपराधियों के मनोबल को तोडने के लिए जमकर काम किया। यही कारण रहा कि पुलिस का बदमाशों में खौफ दिखाई दिया। 6 माह बाद पुलिस कमिश्नरी प्रणाली इन दो शहरों से खत्म तो नही हुई और उल्टा अप्रूवल मिल गया है। अब पुलिस कमिश्नर को भी कई नए अधिकार मिल गए हैं। पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति जरूरत के हिसाब से सुरक्षा यानी गनर दे सकेगी। गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली का पूरे 6 माह होने के बाद पुलिस कमिश्नरेट की ओर से रिपोर्ट जारी की गई, आइए एक नजर डालते हैं इन ताजा आंकडों पर। इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह महीनों में शहर में क्राइम का ग्राफ गिरा है और अपराध बेहद कम हुए हैं। इसके साथ ही इमोशनल पुलिसिंग, महिला विरुद्ध अपराधों में जनसुनवाई से लेकर कार्रवाई तक की व्यवस्था बेहतर हुई है। आंकड़ों के अनुसार, इन छह महीनों में डकैती और फिरौती के लिए अपहरण करने की एक भी घटना नहीं हुई है। वहीं लूट, वाहन चोरी और अन्य चोरी की वारदातें भी पिछले साल के मुकाबले 50 प्रतिशत तक घटी हैं। पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के कुछ समय बाद ही कोरोना संक्रमण फैल गया। संक्रमण रोकने के लगाए गए लॉकडाउन में शहर थम गया। एक बड़े तबके के सामने खाने का संकट खड़ा हुआ। ऐसे विकट हालात में शहर को पुलिस ने बडी तत्परता से संभाला। डॉयल-112 से लेकर थाना, चौकी, एसीपी, डीसीपी तक फोन कॉल पर राशन व दवा जरूरतमंदों तक लेकर गए। पुलिस ने खाना बनवाना शुरू किया, पलायन कर रहे लोगों को खाने के पैकट बंटवाए। इसके साथ ही जब संक्रमण बढ़ा तब शहर को कोरोना वॉरियर्स बनकर बचाने की पूरी कोशिश पुलिस अब तक भी कर रही है। इसमें पुलिसकर्मी भी संक्रमण की चपेट में आए लेकिन कमिश्नर आलोक सिंह के नेतृत्व में पुलिस बेहतर काम कर रही है। तीन जोन में बंट जाने से अधिकारियों की सीधी जिम्मेदारी तय हुई। कमिश्नरेट व्यवस्था में अधिकारियों की संख्या बढ़ी है। जनसुनवाई और शिकायतों के निस्तारण में तेजी आई। वर्चुअल सुनवाई की व्यवस्था शुरू हुई। महिलाओं के लिए हेल्प डेस्क व जांच को अलग टीम हर थाने में बनाई गई। इसके अलावा पुलिस किसी दबाव में नहीं दिखी। गौतमबुद्धनगर पुलिस के सामने कुछ चुनौतियां भी रही। पुलिस कमिश्नरेट बनने के साथ पुलिस के सामने पहली चुनौती आई गौरव चंदेल हत्याकांड की। खुलासा हुआ कि मिर्ची गैंग के बदमाश आशू जाट ने एसयूवी लूट में हत्या की वारदात को अंजाम दिया। लेकिन आशू जाट को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। इसके साथ ही साइबर फ्रॉड के मामले भी बहुत तेजी से सामने आ रहे हैं। बात अगर नोएडा और सेंट्रल जोन की करें तो फरवरी के बाद एक भी गिरफ्तारी किसी मामले में नहीं हुई है। उसके पहले भी कार्रवाई और गिरफ्तारी की संख्या एक या दो है। जब कि ग्रेटर नोएडा जोन में पुलिस ने काफी मुस्तैदी और तत्पता से काम किया।