राजनीति में अपराधीकरण रोकने के लिए संसद कानून बनाएं
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
—————————————- राजनीति में अपराधीकरण के चलते हुए भ्रष्टाचार रूकने का नाम नही ले रहा है और जिससे देश की खोखली होती जा रही अर्थव्यथा वाकई एक खतरे की घंटी है। अपराधीकरण रूकने से ही भ्रष्टाचार पर लगाम लग पाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में बढते हुए अपराधीकरण को गंभीरता लेते हुए साफ किया है कि गंभीर अपराधों में, जिसमें सज़ा पांच साल से ज्यादा हो, अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप तय होते हैं तो उसके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए, अगर कोई सांसद या विधायक है तो उसकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए। यह टिप्पणी दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की।
सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि राजनीति में अपराधीकरण एक गंभीर मुद्दा है और इसे रोकने के लिए कानून में बदलाव करना संसद का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि यह राष्ट्रीय सोच है कि राजनीति से अपराधीकरण को हटाने के लिए कदम उठाने चाहिए और इसे विधायिका नजरअंदाज नहीं कर सकती, यह चुनाव में पवित्रता के लिए समाज की जरूरत है।
चीफ जस्टिस ने अर्टानी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा हमें संसद को इन गंभीर हालात के बारे में याद दिलाना होगा। संसद का संविधान के अनुच्छेद 102 में संशोधन करना कर्तव्य है। हम ये इसलिए कह रहे हैं कि हम संविधान की आत्मा के पहरेदार हैं। चीफ जस्टिस ने पुराने जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार एक संज्ञा है। लेकिन जब यह राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करता है तो यह एंटीबायोटिक्स के लिए एक क्रिया प्रतिरोधी बन जाता है। उन्होंने अर्टानी जनरल से कहा कि आप कोई उच्च एंटीबॉयोटिक सुझाइए। सवाल ये है कि क्या कोर्ट कोई कानून बना सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी एक अपनी लक्ष्मणरेखा है, हम कानून की व्याख्या करते हैं न कि कानून बनाते है, कानून तो संसद बनाती है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कह रहे हैं कि हम कानून बनाएं ये कैसे हो पाएगा, हमारा भी एक दायरा है। अब वक्त आ गया है कि संसद उन हालात की समीक्षा करे, संविधान के अनुच्छेद 21 में जीने के अधिकार के ब्यौरे में ये भी साफ है कि किसी अपराध में दोष सिद्ध होने तक सज़ा नहीं हो सकती। यहां तो चार्ज फ्रेम होने पर ही सज़ा देने की बात ही रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर पाबंदी क्यों न लगाई जाए? संसद कानून में संशोधन करे, संगीन अपराधों में जिन नेताओं के खिलाफ चार्ज फ्रेम हो जाएं उनको चुनाव लड़ने से रोका जाए। साथ ही दागी नेताओं के खिलाफ गंभीर अपराधों में मामले की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए कराई जाए।