सुप्रीम कोर्ट का राहुल गांधी से जवाब तलब
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
राहुल गांधी राफेल मामले में अपनी टिप्पणी को लेकर फंस गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अदालत ने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं कीए तो फिर इस टिप्पणी को गलत तरीके से कैसे पेश किया जा रहा है। कोर्ट ने इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष को 22 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राहुल गांधी ने इस अदालत का नाम लेकर राफेल सौदे के बारे में मीडिया और जनता के बीच कोर्ट की टिप्पणी को गलत तरीके से पेश किया है। हम यह स्पष्ट करते हैं कि राफेल मामले में दस्तावेजों को स्वीकार करने के लिए उनकी वैधता पर सुनवाई करते हुए इस तरह की टिप्पणियां करने का मौका कभी नहीं आया। दरअसल राहुल गांधी ने 10 अप्रैल को अमेठी से नामांकन भरने के बाद मीडिया से बातचीत में राफेल सौदे को लेकर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। राहुल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार ही चोर है। राहुल के इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी की नेता मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ मानहानि की याचिका दाखिल की थी। लेखी की ओर से अदालत में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा। रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस नेता ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश किया है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 10 अप्रैल को राफेल लड़ाकू विमान सौदे में समीक्षा याचिकाओं पर केंद्र की आपत्तियों को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलीलों को खारिज कर रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेज की वैधता को मंजूरी प्रदान कर दी है। कोर्ट के फैसले के अनुसार यह दस्तावेज सुनवाई का हिस्सा होंगें। केंद्र ने दलील दी थी कि प्रशांत भूषणए अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा की समीक्षा याचिका से जुड़े दस्तावेज में राफेल की रक्षा फाइलों से अनधिकृत रूप से फोटोकॉपी की गई थी और इससे फ्रांस के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और मैत्रीपूर्ण संबंधों पर इनका प्रभाव पड़ेगा। पीठ ने कहा था कि वह समीक्षा याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई शुरू करने के लिए तारीख तय करेगीए जिसमें राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत के साथ एविएशन द्वारा अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर के तौर पर चुने जाने को लेकर सवाल उठाए गए हैं।