मोदी और मनमोहन के दिल में नही है देश सेवा और समाज हित का ख्याल
अन्ना हजारे लोकपाल को कमजोर किए जाने के मुद्दे पर जम कर बरसे
- कानून रिव्यू/नई दिल्ली
……………………………….. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जनलोकपाल कानून लागू न किए जाने को लेकर खासे नराज हैं और मोदी सरकार पर जमकर बरसे हैं। अन्ना हजारे जनलोकपाल लागू न किए जाने को लेकर पुनः आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं। वे पिछली यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से खुश नहीं थे और वह मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी खुश नहीं हैं। वह सीधे तौर पर आरोप लगाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने उस लोकपाल विधेयक को कमजोर कर दिया है जिसे पूर्व की यूपीए सरकार के दौरान पारित किया गया था।
अन्ना मध्यप्रदेश की पर्यटन नगरी खजुराहो में शुरू हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन में हिस्सा लेने आए हुए हैं। अन्ना ने इस दौरान मीडिया से विशेष बातचीत में कहा कि मनमोहन सिंह बोलते नहीं थे और उन्होंने लोकपाल.लोकायुक्त कानून को कमजोर किया और अब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकपाल को कमजोर करने का काम किया है। मनमोहन सिंह के समय कानून बन गया था उसके बाद नरेंद्र मोदी ने संसद में 27 जुलाई 2016 को एक संशोधन विधेयक के जरिए यह तय किया कि जितने भी अफसर हैं उनकी पत्नी, बेटे.बेटी आदि को हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं देना होगा जबकि कानून में यह ब्योरा देना आवश्यक था।
अन्ना ने मौजूदा केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि लोकसभा में एक दिन में संशोधन विधेयक बिना चर्चा के पारित हो गया फिर उसे राज्यसभा में 28 जुलाई को पेश किया गया उसके बाद 29 जुलाई को संशोधन विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा गया,जहां से हस्ताक्षर हो गया जो कानून पांच साल में नहीं बन पायाए उसे तीन दिन में कमजोर कर दिया गया। अन्ना का आरोप है कि चाहे मनमोहन सिंह हों या मोदी दोनों के दिल में न देश सेवा है और न समाज हित की बातण् यही कारण है कि उद्योगपतियों को तो लाभ पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे लेकिन किसान की चिंता किसी को नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना ने कहा कि उद्योग में जो सामान तैयार होता है उसकी लागत मूल्य देखे बिना ही दाम की पर्ची चिपका दी जाती है। आज हाल यह है कि किसानों का जितना खर्च होता है उतना भी दाम नहीं मिलता। वहीं किसान को दिए जाने वाले कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज लगाया जाता है। कई बार तो ब्याज की दर 24 प्रतिशत तक पहुंच जाती है साल 1950 का कानून है कि किसानों पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लगा सकते मगर लग रहा है। साहूकार भी इतना ब्याज नहीं ले सकता जितना बैंक ले रहे हैं। अन्ना ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि किसानों से जो ब्याज साहूकार नहीं ले सकते वह ब्याज बैंक वसूल रहे हैं। बैंक नियमन अधिनियम का पालन नहीं हो रहा है इसे भारतीय रिजर्व बैंक को देखना चाहिए यदि रिजर्व बैंक नहीं देखता है तो सरकार किस लिए है। इसके साथ ही 60 वर्ष की आयु पार कर चुके किसानों को पांच हजार रुपये मासिक पेंशन दिया जाना चाहिए।
अन्ना ने उद्योगपतियों का कर्ज माफ किए जाने पर सवाल उठाया और कहा कि उद्योगपतियों का हजारों करोड़ रुपये कर्ज माफ कर दिया गया है मगर किसानों का कर्ज माफ करने के लिए सरकार तैयार नहीं है। किसानों का कर्ज मुश्किल से 60.70 हजार करोड़ रुपये होगा क्या सरकार इसे माफ नहीं कर सकती।
अन्ना का मानना है कि सरकारें तब तक बात नहीं सुनती हैं जब तक उन्हें यह डर नहीं लगने लगता कि उनकी सरकार इस विरोध के चलते गिर सकती है इसलिए जरूरी है कि सरकार के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन चलाया जाए। उन्होंने कहा कि जब तक नाक नहीं दबाई जाएगी तब तक मुंह नहीं खुलेगा