15 अपराधियों ने तो जमानत मिलने के बाद भी जेल से रिहा होने से मना कर दिया
सत्ता परिवर्तन के बाद से अब तक 86 अपराधियों ने अदालत में सरेंडर किया
. यूपी में शुरू हुए एनकाउंटरों में 20 बदमाशों का हुआ सफाया
- कानून रिव्यू/लखनऊ
……………………………………………….कानून का राज स्थापित होने पर अपराधी जमानत मिलने से भी डरने लगते हैं। ऐसी स्थिति में बदमाशों सबसे मुफीद जगह यदि कोई दिखाई देती है तो वह जेल ही होती है। एक समय वो भी था जब बदमाश जमानत मिलते ही अपराध को अंजाम देना शुरू कर देते थे किंतु आज की स्थिति कुछ ऐसी है कि अब अपराधी जमानत रद्द करवा कर जेलों के अंदर रहना ही गनीमत मान रहे हैं। योगी सरकार के सत्ता संभालने के बाद यूपी में शुरू हुए एनकाउंटरों का असर दिखने लगा है। लखनऊ से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में स्थिति यह है कि अपराधी अपनी जमानत रद करवाकर वापस जेल जा रहे हैं। कुछ तो ऐसे हैं जिन्होंने जमानत मिलने के बाद भी जेल से निकलने से मना कर दिया है। ऐसे भी अपराधी हैं जिन्होंने अपनी परोल कैंसिल करवा ली है। कानून से न डरने वालों में पैदा हुए खौफ की यह तस्वीर हाल ही में यूपी पुलिस द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में साफ दिख रही है। यह खौफ यूं तो पूरे प्रदेश के अपराधियों में हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मामले पश्चिमी यूपी के हैं। डीजीपी मुख्यालय के आंकड़े बताते हैं कि सत्ता परिवर्तन के बाद से अब तक 86 अपराधियों ने अदालत में सरेंडर किया है। इनमें से ज्यादातर ने पिछले दो महीने में आत्मसमर्पण किया है। पश्चिमी यूपी के उन इलाकों में जहां ज्यादा एनकाउंटर हुए वहां के अपराधियों में से कई ने अपनी बेल रद्द करवा ली है। इनमें नौ इनामी अपराधी भी हैं। हाल ही में धर्मवीर सेठी ने बागपत सीजेएम कोर्ट में सरेंडर किया वहीं जब्बार और जिया उल हक ने बुलंदशहर में अदालत के जरिए जेल की शरण ली। विकास नाम के अपराधी ने गाजियाबाद में सरेंडर किया। 15 अपराधियों ने तो जमानत मिलने के बाद भी जेल से रिहा होने से मना कर दिया।
एनकाउंटर में 20 बदमाशों का हुआ सफाया
…………………………………………………… यदि पुलिस के आंकडों पर गौर करें तो मार्च से अक्टूबर 2017 के बीच 20 अपराधी मार गिराए गए और 2500 से ज्यादा को गिरफ्तार कर लिया गया है। जब कि 02 पुलिस अधिकारी एनकाउंटर में शहीद हुए और 90 से ज्यादा पुलिसवाले मुठभेड़ों में घायल हुए हैं।