जम्मू.कश्मीर में इंटरनेट का अनिश्चितकालीन निलंबन मंजूर नही
कानून रिव्यू/नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू.कश्मीर प्रशासन को जम्मू.कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों के सभी आदेशों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट कहा कि इंटरनेट का अनिश्चितकालीन निलंबन स्वीकार्य नहीं है, साथ ही धारा 144 सीआरपीसी के तहत बार.बार आदेश देने से सत्ता का दुरुपयोग है। न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि हमारी चिंता सुरक्षा और लोगों की स्वतंत्रता के बारे में एक संतुलन खोजने के लिए है। हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि नागरिकों को उनके अधिकार प्रदान किए जाएं। दिए गए आदेशों के पीछे राजनीतिक इरादे से हम नहीं झुकेंगे। कोर्ट ने कहा कि कश्मीर में बहुत हिंसा हुई है। हम सुरक्षा के मुद्दे के साथ मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को संतुलित करने की पूरी कोशिश करेंगे। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति में आर्टिकल 19 में इंटरनेट का अधिकार शामिल है। इंटरनेट पर अनुच्छेद 19 (2) के तहत आनुपातिकता के सिद्धांतों का पालन करना है, अनिश्चित काल के लिए इंटरनेट का निलंबन स्वीकार्य नहीं। यह केवल एक उचित अवधि के लिए हो सकता है। जब तक विशेषाधिकार का दावा नहीं किया जाता तब तक सरकार कोर्ट से दस्तावेजों को वापस नहीं ले सकती। धारा 144 सीआरपीसी के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश असंतोष फैलाने के लिए नहीं लगाए जा सकते। धारा 144 सीआरपीसी के तहत आदेश पारित करते समयए मजिस्ट्रेट को व्यक्तिगत अधिकारों और राज्य की चिंताओं के हितों को संतुलित करना होता है। 27 नवंबर को जस्टिस एनवी रमनाए जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की तीन जजों की बेंच ने कश्मीर लॉक डाउन की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू.कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के मद्देनजर लगाया गया था। कोर्ट ने कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आज़ाद और कुछ अन्य की याचिका पर सुनवाई की थी।