राजस्थान एटीएस और जम्मू कश्मीर आमने सामने
कानून रिव्यू/ जम्मू कश्मीर
——————————राष्ट्रीय स्तर पर फैले फर्जी हथियार लाइसेंस मामले में भले ही जम्मू कश्मीर के सरकारी कर्मचारी और अधिकारी लिप्त है, लेकिन वहां की सरकार और अधिकारी इससे कोई इत्तेफाक नहीं रखते। फर्जीवाड़ा उजागर करने वाली राजस्थान एटीएस चाह रही है कि मामले की सीबीआइ जांच हो। इसके उलट जम्मू कश्मीर ने साफ कह दिया कि भारत का कानून यहां लागू नहीं। वहां की एफआईआर का क्षेत्राधिकार जम्मू में प्रभावी नहीं है। यहां रणबीर दंड संहिता लागू है। राजस्थान की एटीएस विंग ने कुछ माह पहले फर्जीवाड़ा उजागर किया था। देश में ऐसा गिरोह सक्रिय है जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जम्मू कश्मीर के ४ जिलों से हथियार लाइसेंस बनवाता है, फिर विभिन्न राज्यों में रिन्यू करवा लेते हैं। इन सबके बीच जम्मू कश्मीर के एक पत्र ने अधिकारियों को अचरज में डाल दिया। विधि विभाग की राय के साथ भेजे पत्र में लिखा है कि राजस्थान में भारत के अन्य राज्यों की तरह आइपीसी इंडियन पैनल कोड लागू है जबकि जम्मू कश्मीर में रणबीर पैनल कोड लागू है। राजस्थान में आइपीसी के तहत दर्ज एफआइआर की जांच के दायरे में जम्मू कश्मीर नहीं आता। इसके बाद गृह विभाग ने केद्र को सीबीआई जांच के लिए लिखे जाने वाले पत्र को भी रोक दिया है। जम्मू कश्मीर में भारत की आजादी से पहले ही रणबीर पैनल कोड लागू है। यह कानून यहां के शासक रहे महाराजा रणबीर सिंह के नाम से लागू किया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर में आइपीसी मान्य नहीं है। इस मामले में एटीएस 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। यही नहीं जांच अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सतवीर सिंह कई दिन जम्मू में डेरा डाले रहे। वहां के 12 अधिकारियों को नोटिस देकर सूचना दी कि मामले में तफ्तीश के लिए वे जयपुर एटीएस कार्यालय में उपस्थित हों। इनमें अतिरिक्त जिला कलेक्टर स्तर के अधिकारी शामिल हैं। सीबीआई जांच की भी मांग की गई। खुद पुलिस महानिदेशक ने गृहमंत्री के साथ बैठक कर सीबीआई जांच की जरूरत बताई।