उत्तर प्रदेश के संभल में नागरिकता संशोधित कानून के विरोध में जुलूस निकालने से रोके जाने से भीड़ ने बसें फूंकी
अहमदाबाद के सरदार बाग इलाके में पुलिस ने लाठीचार्ज कर 200 प्रदर्शनकारियों को तितर बितर किया
शहीद अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह की फांसी की तरीख पर देशव्यापी भारत बंद
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली
सिटीजन एमेंडमेंट बिल और एनआरसी के खिलाफ देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसकी शुरुआत पूर्वोत्तर भारत के असम से हुई। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में भी जबरदस्त प्रदर्शन हुए। जामिया विश्वविद्यालय में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ सड़क पर सियासत के साथ छात्रों का संघर्ष जारी रहा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इंडिया गेट पर धरने पर बैठीं थीं। वहीं पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी विशाल पैदल मार्च निकाला। वहीं दस से अधिक बड़े संस्थानों में प्रदर्शन हुए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के अहवान पर भी पूरे देश में लोग सडकों पर उतर गए हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने विरोध प्रदर्शन के लिए भी 19 दिसंबर-2019 को शहीद अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह की फांसी की तरीख को चुना है। नागरिकता कानून के खिलाफ यूपी.बिहार से लेकर बेंगलुरु में देशव्यापी बंद रहा। संशोधित नागरिकता कानून सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी एनआरसी के विरोध में माकपा और भाकपा सहित सभी वामदल और मुस्लिम संगठन देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। अहमदाबाद के सरदार बाग इलाके में जुटे कुछ लोगों पर पुलिस ने बृहस्पतिवार को लाठीचार्ज किया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कानून.व्यवस्था बनाए रखने के लिए इकट्ठा करीब 200 प्रदर्शनकारियों को तितर.बितर कर दिया गया क्योंकि एकत्र हुए लोगों ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं ली थी। उन्होंने बताया कि 20 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। निरीक्षक एम एम नायब ने बताया कि हमने इस प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी। कानून.व्यवस्था बनाए रखने के लिए हमने उन्हें हटाया। हमने 20 लोगों को हिरासत में भी लिया। इसी बीच उत्तर प्रदेश के संभल में नागरिकता संशोधित कानून के विरोध में जुलूस निकालने से रोके जाने से भीड़ उग्र हो गई। इसके बाद उग्र भीड़ ने पहले पुलिस पर पथराव किया फिर आगजनी की। उग्र भीड़ ने तीन रोडवेज की बसें भी फूंकी दी। संभल के चौधरी सराय में हजारों प्रदर्शनकारी मौजूद है। पुलिस ने मनमानी कर रहे प्रदर्शनकारियों की घेराबंदी कर रखी है। आईजी मुरादाबाद परिक्षेत्र संभल के लिए रवाना और बाहर से पुलिस बल को बुलाया गया है। जब कि माकपा, भाकपा सहित वाम दलों और उनसे जुड़े संगठनों ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन और एसयूसीआई कम्युनिस्ट ने प्रदर्शन का आयोजन किया। ऑल इंडिया डीएसओ के सदस्य भविक राजा ने कहा कि हालांकि हमने आधिकारिक तौर पर इस प्रदर्शन की अनुमति ली थी लेकिन अंतिम समय में इसे रद्द कर दिया गया। हालांकि हमने घोषणा की थी कि हम आज अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे। सीएए और एनआरसी के खिलाफ सरदार बाग में 200 से 300 लोग जुटे थे। बिहार में कई ट्रेनों को रोका गया वहीं यूपी में धारा 144 लागू है। दिल्ली में लाल किला क्षेत्र के आसपास लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए बृहस्पतिवार को सैकड़ों लोगों ने संशोधित नागरिकता कानून सीएए के विरोध में मार्च शुरू किया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दो विरोध प्रदर्शन हुए। लेफ्ट पार्टियों के इस भारत बंद को विपक्ष का भी समर्थन प्राप्त है। बताया जा रहा है कि लेफ्ट पार्टियों के इस भारत बंद को राजद, सपा, कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने अपना समर्थन दिया है। नागरिकता कानून के खिलाफ लेफ्ट विंग और मुस्लिम संगठनों द्वारा बुलाए गए एक दिन के बंद को लेकर बेंगलुरु में तीन दिनों के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं छात्र संगठनों ने भी कई मुद्दों को लेकर गुरुवार को यानी बिहार बंद का आह्वान किया है। इस बंद में 11 छात्र संगठन शामिल हैं। छात्रों ने नागरिक संशोधन कानून एनआरसी और गैंग रेप के बढ़ते मामले के खिलाफ बंद का आह्वान किया है। उत्तर प्रदेश में भी राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। नागरिकता कानून के खिलाफ लेफ्ट विंग और मुस्लिम संगठनों द्वारा बुलाए गए एक दिन के बंद को लेकर बेंगलुरु में तीन दिनों के लिए धारा 144 लागू की जाएगी। बेंगलुरु में धारा.144 गुरुवार सुबह 6 बजे से शुरू होकर 21 दिसंबर की मध्यरात्रि तक तीन दिनों तक लागू रहेगी। मंगलुरु में प्रतिबंध गुरुवार सुबह से शनिवार आधी रात तक दो दिनों के लिए होगा। दोनों शहरों के पुलिस आयुक्तों ने अलग.अलग आदेश जारी किए। आदेशों में कहा गया है कि किसी को भी विरोध प्रदर्शन करने, पटाखे फोड़ने या हथियार प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इसका उल्लंघन करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। छात्र संगठनों ने कई मुद्दों को लेकर गुरुवार को बिहार बंद आह्वान किया है। इस बंद में 11 छात्र संगठन शामिल हैं। छात्रों ने नागरिक संशोधन कानून एनआरसी और गैंग रेप के बढ़ते मामले के खिलाफ बंद का आह्वान किया है। सभी लोगों से बिहार बंद का समर्थन करने की अपील की गई। वहीं बुधवार को बिहार बंद को सफल बनाने के लिए पटना के कई इलाकों में छात्र संगठनों ने संयुक्ततौर पर सघन जनसंपर्क एवं प्रचार अभियान चलाया गया। पटना विश्वविद्यालय के दरभंगा हाउस, वाणिज्य कॉलेज, पटना कॉलेज, साइन्स कॉलेज,पटना लॉ कॉलेज में चला। प्रचार गाड़ी द्वारा भिखना पहाड़ी,एनआईटी मोड़, महेंद्रू, सुल्तानगंज, आलमगंज, गाय घाट, शाहगंज, मुसल्लहपुर,बाजार समिति, दिनकर गोलंबर, लंगरटोली, सब्जीबाग चौराहा पर नुक्कड़ सभा के माध्यम से नागरिक संशोधन कानून एवं एनआरसी के खिलाफ जोरदार विरोध करते हुए बिहार बंद को असरदार बनाने की अपील की गई। टीम ने अशोक राजपथ, कुनकुन सिंह लेन, रमना रोड, खजांची रोड, मखनिया कुआं के दुकानदारों एवं पटना यूनिवर्सिटी के छात्रावासों में विद्यार्थियों से बिहार बंद को सफल बनाने की अपील की गई। उधर जामिया,.एएमयू,.जेएनयू,.मद्रास यूनिवर्सिटी एवं पूर्वोत्तर के राज्यों सीएए.एनआरसी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर छात्र.छात्रा साथियों ने साबित कर दिया है कि वे सरकार से नहीं डरते और हर हालत में इसके खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे। राजनैतिक दलों द्वारा गुरुवार को बिहार बंदी का आह्वान को देखते हुए जिला प्रशासन ने 50 मजिस्ट्रेट और दो सौ पुलिस बल की तैनाती की है। पटना शहर के सभी प्रमुख चौक चौराहों पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल तैनात रहे। कारगिल चौक पर धारा 144 लागू कर दिया गया। गांधी मैदान के आसपास जुलूस प्रदर्शन एवं सभा नहीं होगी। एडीएम विधि व्यवस्था कन्हैया प्रसाद सिंह ने बताया कि बंदी को देखते हुए एंबुलेंस और फायरब्रिगेड के वाहन भी तैनात किए गए। प्रमुख स्कूलों और अस्पताल के पास भी पुलिस प्रशासन तैनात रहे। जिला नियंत्रण कक्ष में भी 12 मजिस्ट्रेट और चार पेट्रोलिंग वाहनों की तैनाती की गई। उत्तर प्रदेश पुलिस ने नागरिकता संशोधित कानून के खिलाफ 19 दिसंबर को होने वाले राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन से पहले सीआरपीसी की धारा 149 के तहत 3000 लोगों को नोटिस जारी किया। उत्तर प्रदेश पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन सभी लोगों से विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होने और दूसरों को शामिल होने के लिए नहीं उकसाने को कहा गया है। पुलिस ने इन लोगों को नोटिस जारी करने के पीछे लॉ एंड ऑर्डर को मुख्य वजह बताया। कुछ लोगों से पुलिस ने विरोध प्रदर्शन के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बॉन्ड भी भरवाया। लखनऊ पश्चिम के एएसपी विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि नागरिकता कानून के खिलाफ 19 दिसंबर को होने वाले विरोध प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए शहर में 150 लोगों को नोटिस दिया गया। लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन रखने के लिए लखनऊ में पांच अतिरिक्त एसपीए 10 सीओ, पीएसी की 12 कंपनियां और 500 सब.इंस्पेक्टरों की तैनाती की गई। पुलिस सोशल मीडिया पर भी नजर रखे हुए है और ऐसे पोस्टों को हटवा रही है, जिसमें लोगों से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की गई है। गौरतलब है कि 19 दिसंबर का विरोध प्रदर्शन विभिन्न सिविल सोसाइटी ग्रुपों की ओर से बुलाया गया है। गुजरात में एक अल्पसंख्यक अधिकार संगठन ने बुधवार को नये नागरिकता कानून और एनआरसी लागू किए जाने के विरोध में 19 दिसंबर को अहमदाबाद बंद का आह्वान किया। अल्पसंख्यक अधिकार मंच के शमशाद पठान ने कहा कि बृहस्पतिवार को दिन भर के बंद के दौरान वडोदरा, गोधरा और लुनावाडा से कारोबारी और दुकानदार हिस्सा लेंगे। दलित नेता एवं निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि बृहस्पतिवार को बनासकांठा जिले में उनके विधानसभा क्षेत्र वडगाम के अंतर्गत आने वाले 50 गांवों में नागरिकता संशोधन कानून सीएए की प्रतियां जलाई जाएंगी। संशोधित कानून के विरोध में कुछ विश्वविद्यालयों समेत समूचे देश में प्रदर्शन हो रहे है। संशोधित कानून में 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना के शिकार गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए के खिलाफ देश भर में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को दुर्भाग्यपूर्ण एवं बेहद निराशाजनक करार दिया। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून से किसी भी भारतीय को नुकसान नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने लोगों से अफवाह फैलाने वालों से दूर रहने और निहित स्वार्थी तत्वों को समाज को बांटने नहीं देने की अपील की। लखनऊ के दारूल उलूम नदवतुल उलेमा कॉलेज में छात्र.पुलिस में झड़प हुई। ईंट.पत्थर फेंके गए। मऊ में दर्जन भर बाइकें फूंकीं, थाने में तोड़फोड़ की। यूपी में धारा 144 लागू कर इंटरनेट ठप की गई। प्रदर्शन को देखते हुए यूपी सरकार ने सभी डीएम.एसपी की छुट्टियां रद्द कर दी गईं।
नागरिकता संशोधन कानून में क्या है खास
1.ः-सिटीजन एमेंडमेंट बिल संसद में पास होने और राष्ट्रपति की महुर लगने के बाद एक कानून बन गया है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाइ, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को सिटीजन एमेंडमेंट एक्ट के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।
2ः- ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे।
3ः- अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था। नए कानून सिटीजन एमेंडमेंट एक्ट में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पांच साल भी भारत में रहे हों तो उन्हें नागरिकता दे दी जाएगी।
4ः- सिटीजन एमेंडमेंट एक्ट में यह भी व्यवस्था की गई है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी।
5ः- ओसीआई कार्डधारक यदि शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार केंद्र को मिलेगा, पर उन्हें सुना भी जाएगा।
6. नागरिकता संशोधन कानून के चलते जो विरोध की आवाज उठी उसकी वजह ये है कि इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं।
7ः- पूर्वोत्तर में क्यों हो रहा है विरोध
देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस कानून विधेयक का विरोध किया जा रहा है और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है। इन राज्यों में इसका विरोध इस बात को लेकर हो रहा है कि यहां कथित तौर पर पड़ोसी राज्य बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में अवैध तरीके से आकर बसे हैं तो फिर मुसलमानों को छोड कर बाकी बचे घुसपैठियों को ही नागरिकता क्यो दी जा रही है?
8ः-क्या है, एनआरसी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 नवंबर को सदन को बताया था कि उनकी सरकार दो अलग.अलग नागरिकता संबंधित पहलुओं को लागू करने जा रही है, जिनमें एक सीएए यानी नागरिका संशोधन बिल और दूसरा है एनआरसी यानी पूरे देश में नागरिकों की गिनती जिसे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर।
9ः- नागरिकता संशोधन कानून बनाने के बाद अब मोदी सरकार की नजर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स ऑफ इंडिया यानी एनआरसी देश भर में लागू करवाने पर है। वर्तमान में सिर्फ असम में एनआरसी लागू है। सरकारी अवैध लोगों की पहचान के लिए पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर एनआरसी सरकार लागू करना चाहती है। सरकार ने कहा कि इसमें सभी धर्मों और संप्रदायों के लोगों को शामिल किया जाएगा। असम में एनआरसी मूल रूप से राज्य में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सूची है। असम में एनआरसी की प्रक्रिया 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शुरू हुई थी। असम में एनआरसी में उन लोगों के नाम शामिल किए गए, जो 25 मार्च 1971 के पहले से असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं।
10ः-सीएए और एनआरसी में अंतर
इन दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि एनआरसी धर्म के आधार पर नहीं लागू होगा। वहीं नागरिक संशोधन कानून सीएए में गैर मुस्लिम छह प्रमुख धर्म के लोगों को जगह दी गई है।
संयुक्त राष्ट्र ने भारत में नागरिकता कानून को लेकर चिंता जताई
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करने की अपील करते हुए भारत में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा और सुरक्षा कर्मियों के कथित तौर पर अत्यधिक बल का इस्तेमाल करने पर चिंता जाहिर की। संशोधित नागरिकता कानून के तहत 31 दिसम्बर 2014 तक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्द, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने 17 दिसंबर को प्रेस ब्रीफिंग में कह कि हम हिंसा और सुरक्षा बलों के कथित तौर पर अत्यधिक बल के इस्तेमाल को लेकर चिंतित हैं, जो कि हमने देखा है कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जारी प्रदर्शन में हो रहा है। हम संयम बरतने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण रूप से एकत्रित होने के अधिकारों के पूर्ण सम्मान का आग्रह करते हैं। दुजारिक से पूछा गया था कि महासचिव की सीएए के खिलाफ भारत में जारी प्रदर्शन को लेकर क्या राय है। साथ ही दुजारिक ने कहा कि वह अधिनियम पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट की टिप्पणियों का भी उल्लेख करेंगे। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की प्रमुख ने जिनेवा में कहा था कि यह चिंता की बात है कि सीएए की मूलभूत प्रकृति भेदभावपूर्ण है।
एनआरसी में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सरकार विशेष व्यवस्था करेगीः गृहमंत्री
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष सीएए और एनआरसी के मामले पर खास कर देश के मुसलमानों में भय फैलाने का काम कर रहा है। सीएए देश का कानून बन चुका है इससे देश के मुसलमानों को कतई भी घबराने की जरूरत नही है। एनआरसी भी देश में जरूर लागू होगा। एनआरसी से किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है। अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सरकार विशेष व्यवस्था करेगी क्योंकि विपक्ष ने उनमें भय फैलाया है। हालांकि उन्होंने फिर कहा कि जो घुसपैठिए हैं उन्हें भारत से जाना पड़ेगा। गृहमंत्री की तरफ से यह बयान तब आया है जब देश भर में कई जगह पर मुसलमान नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि एनआरसी में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी और जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा, सबको निकालकर देश से बाहर किया जाएगा। एनआरसी सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने 5 साल में अफगानिस्तान, पाकिस्तान समेत दूसरे देश से आए 600 प्रताड़ित मुसलमानों को नागरिकता दी है। दुनिया के किसी भी देश में हिंदू निकाला जाएगा तो कहां जाएगा, यहीं आएगा। यही वजह है कि 1971 में इंदिरा गांधी ने सामूहिक नागरिकता दी थी।