जेल में बंदं एमफिल छात्रा सफूरा जरगर के खिलाफ छिड़ा था, चरित्र हनन अभियान
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ दिल्ली
जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की सदस्य सफूरा जरगर की दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सफूरा की गर्भवास्था को देखते हुए 15 दिनों में कम से कम एक बार फोन के माध्यम से जांच अधिकारी के संपर्क में रहने का निर्देश दिया है। साथ ही सफूरा जरगर को 10,000 रुपये का निजी मुचलका और समान राशि की जमानत देनी होगी। हाईकोर्ट ने सफूरा को निर्देश दिया कि वह ऐसी किसी भी गतिविधियों में शामिल न हो, जिससे जांच में बाधा आए। उसे दिल्ली नहीं छोड़ने के लिए भी निर्देशित किया गया है, उसे इस संबंध में अनुमति लेनी होगी। गौरतलब है कि सफूरा जरगर की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दिल्ली पुलिस ने सफूरा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सिर्फ गर्भवती होने के कारण वह जमानत की हकदार नहीं हैं। दिल्ली पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि तिहाड़ जेल में पिछले 10 साल में 39 डिलीवरी हो चुकी हैं। ऐसे में सफूरा जरगर का मामला अलग और खास नहीं है। प्रेग्नेंसी के आधार पर जमानत के लिए दाखिल याचिका के विरोध में दिल्ली पुलिस ने कहा कि अपराध की गंभीरता सिर्फ गर्भवती होने से कम नहीं होती है। पहले भी न सिर्फ केवल गर्भवती आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है बल्कि जेल में उनकी डिलीवरी भी हुई है। कानून में इस संबंध में पर्याप्त प्रावधान हैं। हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा कि जांच और गवाहों के बयान के आधार पर सफूरा जरगर के खिलाफ केस बनता है। दिल्ली पुलिस ने सफूरा जरगर को मुख्य साजिशकर्ता और भड़काने वाला करार देते हुए कहा कि यह बात साक्ष्यों से पुष्ट भी हुई है। उत्तर.पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में कथित भूमिका के लिए सफूरा जरगर को सख्त कानून यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में कहा कि जरगर उस बड़े साजिश का हिस्सा थीं, जो न केवल अव्यवस्था का कारण बना बल्कि लोगों की मौत और नुकसान का भी कारण रही। सफूरा पर आरोप है कि अन्य आरोपियों के साथ मिलकर उन्होंने उत्तर.पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को भड़काया था। इस दंगे में 53 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 400 लोग घायल हुए थे। इससे पहले 4 जून को दिल्ली की एक अदालत ने सफूरा जरगर की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकर विरोध प्रदर्शन के लिए पूर्ण अधिकार नहीं है। यह भारतीय संविधान के तहत उचित प्रतिबंधों के अधीन है। इसके साथ ही अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि जब आप अंगारे के साथ खेलते हैं तो आग फैलने के लिए हवा को दोष नहीं दे सकते।
भद्दी और बेहद फूहड़ बयानबाजियों से सफूरा के चरित्र की धज्जियां उधेड़ने में ट्रोलर्स ने कोई कसर नहीं छोड़ी
जेल में बंदं जामिया मिलिया इस्लामिया की एमफिल छात्रा सफूरा जरगर के खिलाफ चरित्र हनन भी अभियान छिड़ा था। सफूरा विवाहित हैं और मां बनने वाली हैं, लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर उनकी शादी और गर्भावस्था को लेकर ढेरों बेहूदे दावे भी किए गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू में जन्मी और दिल्ली में पली.बढ़ी सफूरा जरगर जामिया मिलिया की छात्रा हैं, जो इस संस्थान से सोशियोलॉजी में एमफिल कर रही हैं, साथ ही वे जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की मीडिया संयोजक भी हैं। सफूरा जरगर दिल्ली यूनिवर्सिटी के जीसस एंड मेरी कॉलेज से ग्रैजुएशन कर चुकी हैं और यूनिवर्सिटी के विमेन डेवलपमेंट सेल की सदस्य थीं और साथ में कैंपस से छपने वाली पत्रिका के प्रकाशन से भी जुड़ी हुई थीं। उन्होंनेे लगभग दो साल तक मार्केटिंग में करिअर बनाने की दिशा में मेहनत की, लेकिन इसे बीच में ही छोड़कर जामिया में दाखिला ले लिया। बीते साल के अंत में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए कई प्रदर्शनों में वे शामिल रही। इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल होना ही कथित तौर पर दक्षिणपंथी लोगों के निशाने पर सफूरा जरगर आ गईं।् गिरफ्तारी के बाद उनकी गर्भावस्था और शादी को लेकर सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक फेक न्यूज फैलाई गई। भद्दी और बेहद फूहड़ बयानबाजियों से सफूरा के चरित्र की धज्जियां उधेड़ने में ट्रोलर्स ने कोई कसर नहीं छोड़ी। झूठी खबरें फैलाई गई कि सफूरा अविवाहित है और जेल में हुए मेडिकल टेस्ट से पता चला है कि वह गर्भवती है जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर रही। अश्लीलता, फूहड़ता, सेक्सिस्ट ट्रोलिंग जो हो सकता था सफूरा के खिलाफ हर तरह के प्रोपेगैंडा का इस्तेमाल किया गया। यहां तक की घटिया मीम्स और सफूरा की तस्वीरों से छेड़छाड़ कर छवि खराब करने की पूरी कोशिश हुई।् उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के पिता की पहचान को लेकर आला दर्जे के झूठ गढ़े गए। इस मामले में भाजपा के विवादित नेता कपिल मिश्रा ने भी कम फूहड़ता नहीं दिखाई। उन्होंने सफूरा मामले में ट्वीट कर कहा कि उनके भाषण को सफूरा की गर्भावस्था से जोड़कर नहीं देखा जाए। उनका इशारा उस भाषण को लेकर था, जिसके बाद कथित तौर पर दिल्ली में दंगे भड़के थे। सच्चाई यह है कि साल 2018 में सफूरा की शादी एक कश्मीरी युवक से हुई थी। सफूरा और उनका परिवार पहले से ही उनकी गर्भावस्था से वाकिफ था और यही वजह थी कि उनके वकील ने सफूरा की गर्भावस्था को ध्यान में रखते हुए अप्रैल में ही उनकी जमानत की गुहार लगाई थी। सफूरा जरगर के वकील रितेश ने भी दावा किया कि सफूरा मामले में ऐसा कुछ भी नहीं था जिस पर अंगुली उठाई जानी चाहिए थी। एक महिला जो एक प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ाई कर रही है, शादीशुदा है और गर्भवती है। इसमें ऐसा क्या है जो किसी को उनका चरित्र हनन करने का मौका दे देता है? सफूरा को लेकर सोशल मीडिया पर इस तरह के तमाम मीम और पोस्ट शेयर किए गए, कि सफूरा अविवाहित हैं और जेल में मेडिकल टेस्ट के दौरान डॉक्टर्स को उनकी गर्भावस्था का पता चला। उन्हें लेकर आला दर्जे की बेतुकी और घटिया पोस्ट शेयर होती रही, जिनमें कहा जा रहा था कि अपनी गर्भावस्था को छिपाने के लिए सफूरा मेडिकल टेस्ट कराने पर आनाकानी करती रहीं, लेकिन इस दावे में दूर.दूर तक कोई सच्चाई नहीं थी। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि मुस्लिम सफूरा का जामिया से होना भी एक तरह से अपराध बन गया? सफूरा जरगर एक मुस्लिम हैं, जामिया में पढ़ती हैं, जेसीसी से भी जुड़ी हैं और सीएए के विरोध में जामिया में हुए प्रदर्शनों में भी शामिल रहीं। तथाकथित दक्षिणपंथी रुझान वाले लोगों के निशाने पर आने के लिए इन सभी पहलुओं को बड़ी वजह माना गया। सफूरा की बहन सामिया कहती हैं कि उन पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें फंसाया गया। फिर धर्म की आड़ में एक पूरी ट्रोल आर्मी उनका चरित्र हनन करने में जुटी रही। सफूरा का मुस्लिम होना और जामिया से जुड़े होना भी उनके लिए मुसीबत लाया। वही जामिया जिसे पिछले कुछ सालों से सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाने वाले संस्थान के तौर पर देखा जाता है। यहां सफूरा को लेकर फैलाई गई बातों में उनके काम या पढ़ाई.लिखाई को लेकर कोई बात है, यह पहलू उसी धारणा को पुष्ट करता है कि औरतें जिंदगी में कुछ भी हासिल कर लें, उनका मूल्यांकन उनके चरित्र से किया जाएगा। साथ ही उनके निजी फैसलों को लेकर भी समाज का रवैया रूढ़िवादी ही रहेगा।