पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़, जुर्म का बादशाह बनने हो गया था, जूनून सवार
मौहम्मद इल्सास-दनकौरी/कानून रिव्यू
जुर्म की दुनिया हो या राजनीति के गलियारे सभी जगहों पर बाहुबलियों का असर और दखल रहा है। यहां तक कि सत्ता से जुडे लोग भी इनके प्रभाव से नहीं बच सके। उत्तर प्रदेश और बिहार से कई ऐसे बाहुबली निकले हैं जिनके नाम का सिक्का कई राज्यों में चला लेकिन इसी बीच एक नाम ऐसा भी था जो बाहुबलियों की ताकत बनकर सामने आया वह नाम है हाल ही में बागपत जेल में ढेर हुआ मुन्ना बजरंगी का। माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे, मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया। मुन्ना, डॉक्टर और इंजीनियर बनने की जगह डॉन बनने का सपना देखता था। आखिर पांचवीं कक्षा के बाद ही मुन्ना ने पढ़ाई छोड़ दी और किशोर अवस्था तक आते आते उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे। भले ही यह किसी के लिए अंजान रहा हो, लेकिन उसके सिर पर जुर्म का बादशाह बनने का जूनून सवार था।
जुर्म की दुनिया में पहला कदम
————————————मुन्ना को हथियार रखने का एक तरह से शौक चढ गया क्योंकि वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा और वह जरायम यानी अपराध की दुनिया एक बडा नाम बनता ही चला गया।
—————————————-अस्सी के दशक में की थी पहली हत्या——————————————मुन्ना अपराध की दुनिया में सीढियां चढने की कोशिश कर रहा था कि उसकी इस उम्मीद को और ज्यादा पंख उस समय लग गए जब उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया। मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था इसी दौरान 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। मुन्ना के मुंह अब इतना खून लग चुका था इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाया और उसके बाद उसने कई लोगों की जान ली।
मुख्तार अंसारी के गैंग में हुआ शामिल
——————————————पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था।् मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हो गया। इसके बाद इस गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई। अब तो मुन्ना सीधे तौर पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा।
——————————————ठेकेदारी और दबंगई ने बढ़ाए दुश्मन—————————————–-पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था। लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृणानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे। उन पर मुख्तार के दुश्मन ब्रिजेश सिंह का हाथ था। उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए। कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था, उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की पूरी जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी पर डाल दी।
——————————————-मुन्ना ने कृष्णानंद राय को दी, मौत—————————————-मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रच डाली। विगत 29 नवंबर 2005 को मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर एके-47 से 400 गोलियां बरसाईं। इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए। पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में तूफान खडा कर दिया और नतीजन हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा। कृष्णानंद राय हत्याकांड को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड की सूची में शामिल हो गया।
————————बजरंगी ने कराई थी डिप्टी जेलर और एसटीएफ इंस्पेक्टर की हत्या—————————-
मुन्ना बजरंगी उर्फ प्रेमप्रकाश को उसी के अंदाज में मौत के घाट उतार दिया गया। मुन्ना की जिससे ठन जाती थी। उसकी हत्या करने में वह जरा भी गुरेज नहीं करता था। वर्ष 2013 में वाराणसी जेल में सख्त जेलरों में शुमार अनिल त्यागी की भी मुन्ना बजरंगी ने अपने गुर्गों द्वारा जेल के बाहर ही गोलियों से भूनकर हत्या करा दी थी। इस मामले में पुलिस ने मुन्ना गैंग के पांच सदस्यों को गिरफ्तार जेल भेजा था। मेरठ के नेहरू नगर निवासी एवं वाराणसी जेल के डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की 23 नवंबर 2013 की सुबह जेल के बाहर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जेलर त्यागी अपने सख्त रवैये के लिए जाने जाते थे। इस हत्याकांड ने पुलिस और जेल प्रशासन को हिलाकर एसटीएफ की वाराणसी इकाई ने मुन्ना बजरंगी के शूटर गिरफ्तार किए थे। इनमें तीन शूटर अमन सिंह, कुर्बान अली उर्फ सोनू और सागर सिंह उर्फ शिबू को पहले और कुछ दिन बाद मुख्यारोपी चंदन सिंह को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया था। एसटीएफ की पूछताछ में चंदन ने बताया था कि डिप्टी जेलर त्यागी के कारण ही गाजीपुर व जौनपुर के माफिया सफेदपोशों का संरक्षण प्राप्त होने के बावजूद वाराणसी जिला जेल में अपनी हुकूमत नहीं चला पा रहे थे। दर्जनों मोबाइल से लैस माफिया बनारस की जेल में बंद अपने गुर्गों से संपर्क तक स्थापित नहीं कर पा रहे थे। कई बार त्यागी व अन्य जेल अधिकारियों पर दबाव बनाया गयाए लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसिलिए माफिया ने अनिल त्यागी को रास्ते से हटाने की योजना बनाई और उनकी हत्या करा दी गई। पुलिस अधिकारियों के अनुसार बजरंगी ने पुलिस को भी निशाना बनाया था। एसटीएफ में तैनात रह चुके इंस्पेक्टर प्रीतम सिंह को बजरंगी ने ही मारा था। इसके अलावा एक बाहुबली विधायक के भाई की हत्या को भी बजरंगी ने अंजाम दिया, लेकिन कोई नामजदगी नहीं हुई।
———————————–मुंबई अंडरवर्ल्ड के लोगों ने भी दी थी, मुन्ना को पनाह——————————-भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी। इसलिए उस पर 7 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। मुन्ना बजरंगी पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों दर्ज थे। पुलिस पीछे थी और मुन्ना लगातार अपनी लोकेशन बदलता जा रहा था। उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था। दिल्ली भी उसके लिए कोई महफूज जगह नहीं थी, इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया, उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा। इस दौरान उसका कई बार विदेश जाना भी होता रहा। उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे। वह मुंबई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश दे रहा था। मुन्ना को अंडरवर्ल्ड के लोगों से एक तरह पनाह मिलने लगी थी।
——————————-आखिर पुलिस के हत्थे चढ ही गया, कुख्यात मुन्ना बजरंगी——————————उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे।ा् वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था। दिल्ली पुलिस ने ऐसा जाल बिछाया कि 29 अक्टूबर 2009 को मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके से बडे नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर ही लिया गया। उस यह भी चर्चा उडी कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था, इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी। मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था। दिल्ली पुलिस यह दावा किया कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है, इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया है। तब से उसे अलग अलग जेल में रखा जा रहा था। इस दौरान उसके जेल से लोगों को धमकाने, वसूली करने जैसे मामले भी सामने आते रहे हैं। मुन्ना बजरंगी के अपराधिक इतिहास पर यदि नजर डाली जाए तो 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं किए जाने का अनुमान है।
——————————-बजरंगी ने सियासत में भी आजमाई थी, किस्मत—————————————
एक बार मुन्ना ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की। मुन्ना बजरंगी एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था और जिसके चलते उसके मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी खराब हो रहे थे। यही वजह थी कि मुख्तार उसके लोगों की मदद भी नहीं कर रहे था। भाजपा से निराश होने के बाद मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन था। वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया। कांग्रेस के वह नेता भी जौनपुर जिले के रहने वाले थे मगर मुंबई में रह कर सियासत करते थे मुन्ना बजरंगी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नेता जी को सपोर्ट भी किया था।
————————-बागपत जेल के अंदर कर दिया गया, मुन्ना बजरंगी काम तमाम——————————
उत्तर प्रदेश की बागपत जेल में 9 जुलाई 2018 की सुबह माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी का काम तमाम कर दिया गया। बागपत जेल के अंदर से गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाजें आईं तो सभी हक्का.बक्का रह गए। जेल के अंदर गश्त लगा रहे संत्री और अन्य सुरक्षाकर्मी दौड़ते हुए मुन्ना बजरंगी की बैरक की तरफ पहुंचे लेकिन तब तक मुन्ना वहीं ढेर हो चुका था। दरअसल 9 जुलाई 2018 को गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की कोर्ट में पेशी होनी थी। उससे पहले रविवार को उसे झांसी से बागपत जेल लाया गया। कोर्ट में पेशी होने से पहले ही 9 जुलाई की सुबह करीब 6.30 बजे जेल के अंदर ही बजरंगी को 10 गोलियां मार दी गईं। मुन्ना की हत्या कर हत्यारे ने हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार बंदूक को गटर में डाल दिया। डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर प्रवीण कुमार ने दावा किया कि बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या सुनील राठी ने की हैं। घटना के बाद जेल प्रशासन की ओर से मामले की एफआईआर कराई गई है। उन्होंने यह भी बताया कि चश्मदीदों की गवाही के बाद सुनील राठी के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया गया है। घटनास्थल से 10 खोखे, 17 जिंदा कारतूस और 2 मैगजीन बरामद की गई है। इसके अलावा घटनास्थल पर फॉरेंसिक टीम भी जांच.पड़ताल कर रही है। डीआईजी कानून व्यवस्था ने बताया कि बागपत का रहने वाला सुनील राठी 2017 से यहां की ही जेल में बंद है। उसका इस समय ट्रायल चल रहा है। पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि सुनील राठी और मुन्ना की अच्छी दोस्ती रही थी। यही कारण था कि घटना वाले दिन दोनों एक दूसरे से मिले और साथ में दोनों ने चाय भी पी। फिर क्या था? दोनों के बीच तू- तू मैं मैं शुरू हो गई। दोनों दूसरे पर यह आरोप लगाने शुरू कर दिए कि उनकी हत्या की सुपारी उसने क्यों दे रखी है। विवाद इतना बढ गया कि गोलियां चल गई और मुन्ना वहीं ढेर हो गया। सुनील राठी ने मुन्ना पर गोली की बात का इकबाल भी किया है
—————————————————-जेलर, डिप्टी जेलर सस्पेंड————————————–
कई सारे सवालों के जवाब अभी यूपी पुलिस की जांच के बाद सामने आएंगे। जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद बागपत जेल के जेलर, डिप्टी जेलर समेत चार जेलकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की न्यायिक जांच कराने की बात कही है। उन्होंने माना कि जेल के अंदर ऐसी घटनाएं एक गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि इस मामले की गहराई से जांच कराई जाएगी और जो भी इसमें दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
——————————-सुनील राठी पिता की हत्या के बाद बना अपराधी—————————————–यूपी के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी हत्याकांड में कुख्यात बदमाश सुनील राठी का नाम सामने आ चुका है। सुनील राठी को हाल ही में रुड़की जेल से बागपत शिफ्ट किया गया था। उसने रुड़की में अपनी जान का खतरा बताया था। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में आतंक का पर्याय बना सुनील राठी पिता की हत्या के बाद अपराधी बना। करीब 11 साल पहले पिता नरेश राठी की बिजरौल भट्ठे के पास हत्या कर दी गई थी। रंजिश में हुई पिता की हत्या के बाद सुनील अपराधी बन गया और विरोधियों का सफाया किया। इसके बाद सुनील का खौफ कायम हो गया। सुनील ही नहीं उसका पूरा परिवार अपराध जगत में सक्रिय है। मां राजबाला देवी पूर्व चेयरपर्सन टीकरी रही है और बसपा से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं। वर्तमान में राजबाला देवी रुड़की जेल में बंद हैं। रुड़की जेल के बाहर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने के बाद सुर्खियों में आए सुनील राठी ने रुड़की जेल के बाहर भी कुछ इसी तरह की वारदात को अंजाम दिलाई थी। चार साल पहले रुड़की जेल के गेट पर चीनू पंडित से गैंगवार में राठी के गुर्गों ने एके.47 से गोलियां बरसाईं थी और तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। पांच अगस्त 2014 को चीनू की जेल से शाम के समय रिहाई हो रही थी। इसी दौरान सुनील राठी के गुर्गों ने एके.47 और 9 एमएम की पिस्टल से अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी। तीन लोगों की गोली लगने से मौत हो गई थी जबकि सात लोग घायल हुए थे। इस वारदात में चीनू की ओर से सुनील राठी और उसके खास सुशील राठी, देवपाल राणा, सतीश राणा समेत कई को नामजद कराया था।
——————————फर्जी एनकाउंटर की साजिश की आशंका पत्नी ने जताई थी————————–—–पत्नी ने जताई थी पति मुन्ना बजरंगी की हत्या की आशंका। अभी कुछ ही दिनों पहले मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंहने आशंका जताई थी कि उनके पति की हत्या हो सकती है। 29 जून को मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने कहा था कि मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ये बात पहुंचाना चाहती हूं कि मेरे पति की जान को खतरा है। उन्हें उचित सुरक्षा दी जाए। उनके फर्जी एनकाउंटर की साजिश रची जा रही है। यूपी एसटीएफए पुलिस के अधिकारी और कुछ सफेदपोश षड्यंत्र कर रहे हैं कि उन्हें फर्जी एनकाउंटर में न मार दिया जाए।