


छात्रों के एक समूह को कुछ नकाबपोश लोगों ने रॉड और डंडों से मारा





मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली
जामिया फिर एमएमयू और अब जेएनयू में हिंसा हो गई। इससे अब राजनीति पूरी तरह से गरमा चुकी है। इस हिंसा को लेकर लोग सोशल मीडिया पर तरह.तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। रविवार जो कुछ हुआ वह जेएनयू के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। ऐसे में कुछ सवाल उठ रहे हैं कि आखिर राष्ट्रीय राजधानी में छात्रों को इतना बड़ा गुट हिंसा पर उतारू हो गया। इस मामले में दिल्ली पुलिस साथ देश की खुफिया एजेंसियों पर भी सवाल उठ रहे हैं। आखिर कैसे 70 से ज्यादा नकाबपोश कैंपस के अंदर घुस गए। दिल्ली पुलिस छात्रों के साथ मारपीट के काफी बाद क्यों पहुंची? जबकि बसंतकुंज थाना कुछ ही दूरी पर स्थित है। जब छात्रों ने वसंतकुंज थाना को दिन में ही कैंपस में बाहर की छात्रों की मौजूदगी की सूचना दी थी तो दिल्ली पुलिस ने क्यों एक्शन नही लिया और क्यों मूकदर्शक बनी रही? घटना के बाद से कैंपस की तरफ जानी वाली मुख्य सड़कों की स्ट्रीट लाइट क्यों ऑफ कर दी गई? रात 11 बजे के आस.पास दोबारा से लाइट क्यों जलाई गईं? इन तमाम सवालों पर दिल्ली पुलिस और खुफियां एजेंसी साफ घिरती नजर आ रही है। यदि दिल्ली पुलिस की बात करें तो पिछले कुछ दिनों से लगातार सवाल उठ रहे हैं। पहले जामिया हिंसा को लेकर किरकिरी हुई। इससे पहले जेएनयू में ही टुकड़े.टुकड़े गैंग को लेकर भी विवाद हुआ था। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की चार्जशीट को लगातर सवाल उठे। जेएनयू से लापता छात्र नजीब अहमद को लेकर भी किरकिरी हुई और अब एक बार फिर से जेएनयू हिंसा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। जेएनयू के वामपंथी छात्र संगठनों और कुछ टीचर्स का आरोप है कि ये दिल्ली पुलिस की मिलीभगत से हुआ है। जेएनयू प्रोफेसर अतुल सूद का दावा है कि टीचर्स.स्टूडेंट्स मीटिंग चल रही थी, तभी नकाबपोश लोगों ने हमला किया। ये लोग पत्थरों से डेढ़ घंटा तक हंगामा करते रहे। सादी वर्दी में तैनात पुलिस वालों ने क्यों नहीं रोका? नकाबपोश हमलावरों में हॉस्टल पर पत्थरबाजी की और यूनिवर्सिटी की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया है। श्री सूद का यह भी कहना है कि पिछले 70 दिनों से जेएनयू जल रहा है और वाइस चांसलर सोए हुए हैं। मैं तो कहता हूं कि अगर छात्र और प्रोफेसर की मौत भी हो जाए तो वीसी साहब नहीं आएंगे। गौरतलब है कि कैंपस में 70 दिनों से फीस को ले कर बवाल मचा हुआ है। रविवार को भी रजिस्ट्रेशन को लेकर छात्रों के दो गुटों में झड़प हुई थी। यह झड़प इतना विकराल रुप धारण कर लेगी इसका अंदाजा किसी को नहीं हुआ। छात्रों के दो समूह आपस में भिड़ गए। इस दौरान दोनों तरफ से जमकर हिंसा हुई। छात्रों के एक समूह को कुछ नकाबपोश लोगों ने रॉड और डंडों से मारा। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने बताया कि उन पर हमला किया गया। घोष ने कहा कि गुंडों ने नकाब पहनकर मुझ पर बेरहमी से हमला किया। वहीं एम्स ट्रॉमा सेंटर की ओर से कहा गया कि जेएनयू से 23 लोग एम्स पहुंचे हैं। इनमें से ज्यादातर के सिर से खून बह रहा था साथ ही उन्हें खरोंचे आईं थीं। छात्रों के एक समूह को कुछ नकाबपोश लोगों ने रॉड और डंडों से मारा। जेएनयू छात्र संघ की पूर्व नेता सुचिता डे भी कहती हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का एक बड़ा नेता रविवार दोपहर के बाद साबरमती हॉस्टल में क्या कर रहा था?् अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्लान कर इस घटना को अंजाम दिया है। इस साजिश में बीजेपी के कई बड़े नेता शामिल हैं। इस साजिश में दिल्ली पुलिस की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने लेफ्ट संगठनों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने कहा कि इस कैंपस में लेफ्ट ने नक्सल विचारों वाले बाहरी लोगों की मद्द ली। देश विरोधी तत्वों से मदद ली।् हिंसा के लिए वही जिम्मेदार है।् हम इस घटना की जांच की मांग करते हैं। उधर जेएनयू हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस के वकील राहुल मेहरा ने भी सवाल खड़ा किया है। उन्होंने ट्वीट कर दिल्ली पुलिस से पूछा है कि जब जेएनयू परिसर में गुंडों ने प्रवेश कर निर्दोष छात्रों पर हमला किया और उनके साथ बर्बरता से मारपीट की तो पुलिस बल कहां थे? हालांकि हिंसा के बाद सोमवार को स्थिति सामान्य रही। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में देर रात एफआईआर दर्ज कर ली। पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज और सोशल मीडिया पर छात्रों के विभिन्न ग्रूपों को भी खंगाला जा रहा है। दूसरी तरफ सोमवार सुबह तक घायल सभी छात्रों को एम्स से छु्ट्टी मिल गई है। केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन अभी भी मामले पर नजर रखे हुए हैं। वहीं केंद्र सरकार ने आईबी की रिपोर्ट के बाद कुछ राज्य सरकारों को विशेष सतर्कता बरतने की हिदायत दी है। वहीं इस घटना के विरोध में देश के कई हिस्सों में छात्र सड़क पर उतर आए हैं।